المَكتَبَةُ الشَّامِلَةُ السُّنِّيَّةُ

الرئيسية

أقسام المكتبة

المؤلفين

القرآن

البحث 📚

صبّار شكور وإذا غشيهم موجٌ كالظلل دعوا الله مخلصين له - تفسير العز بن عبد السلام - جـ ٢

[عز الدين بن عبد السلام]

فهرس الكتاب

- ‌1

- ‌2

- ‌3

- ‌5

- ‌6

- ‌7

- ‌9

- ‌12

- ‌16

- ‌17

- ‌18

- ‌19

- ‌24

- ‌26

- ‌28

- ‌29

- ‌30

- ‌31

- ‌32

- ‌33

- ‌34

- ‌36

- ‌37

- ‌38

- ‌39

- ‌40

- ‌41

- ‌42

- ‌46

- ‌47

- ‌48

- ‌49

- ‌50

- ‌51

- ‌52

- ‌55

- ‌57

- ‌58

- ‌60

- ‌61

- ‌63

- ‌64

- ‌67

- ‌69

- ‌72

- ‌73

- ‌74

- ‌75

- ‌79

- ‌80

- ‌81

- ‌82

- ‌83

- ‌84

- ‌86

- ‌87

- ‌88

- ‌90

- ‌91

- ‌92

- ‌93

- ‌97

- ‌98

- ‌99

- ‌100

- ‌101

- ‌102

- ‌106

- ‌107

- ‌108

- ‌109

- ‌110

- ‌111

- ‌112

- ‌114

- ‌115

- ‌117

- ‌118

- ‌119

- ‌122

- ‌123

- ‌124

- ‌125

- ‌126

- ‌128

- ‌129

- ‌1

- ‌3

- ‌4

- ‌7

- ‌9

- ‌10

- ‌11

- ‌12

- ‌24

- ‌26

- ‌30

- ‌36

- ‌37

- ‌39

- ‌45

- ‌47

- ‌53

- ‌58

- ‌62

- ‌64

- ‌71

- ‌73

- ‌78

- ‌85

- ‌87

- ‌88

- ‌89

- ‌92

- ‌93

- ‌94

- ‌98

- ‌100

- ‌105

- ‌108

- ‌1

- ‌2

- ‌3

- ‌5

- ‌6

- ‌7

- ‌8

- ‌17

- ‌18

- ‌19

- ‌22

- ‌23

- ‌27

- ‌28

- ‌29

- ‌30

- ‌35

- ‌36

- ‌37

- ‌38

- ‌40

- ‌41

- ‌43

- ‌44

- ‌46

- ‌52

- ‌61

- ‌62

- ‌63

- ‌67

- ‌68

- ‌69

- ‌70

- ‌71

- ‌72

- ‌73

- ‌74

- ‌77

- ‌78

- ‌79

- ‌80

- ‌81

- ‌82

- ‌83

- ‌84

- ‌86

- ‌87

- ‌88

- ‌89

- ‌91

- ‌92

- ‌93

- ‌99

- ‌100

- ‌101

- ‌105

- ‌106

- ‌107

- ‌108

- ‌109

- ‌113

- ‌114

- ‌116

- ‌118

- ‌119

- ‌120

- ‌1

- ‌2

- ‌4

- ‌6

- ‌7

- ‌8

- ‌9

- ‌10

- ‌12

- ‌13

- ‌15

- ‌17

- ‌18

- ‌19

- ‌20

- ‌22

- ‌23

- ‌24

- ‌25

- ‌26

- ‌28

- ‌29

- ‌30

- ‌31

- ‌33

- ‌35

- ‌36

- ‌37

- ‌38

- ‌40

- ‌41

- ‌42

- ‌44

- ‌45

- ‌46

- ‌47

- ‌48

- ‌49

- ‌50

- ‌52

- ‌53

- ‌54

- ‌55

- ‌56

- ‌57

- ‌58

- ‌59

- ‌61

- ‌62

- ‌63

- ‌64

- ‌65

- ‌66

- ‌67

- ‌68

- ‌69

- ‌70

- ‌72

- ‌73

- ‌75

- ‌76

- ‌77

- ‌78

- ‌79

- ‌80

- ‌81

- ‌82

- ‌83

- ‌84

- ‌85

- ‌86

- ‌87

- ‌88

- ‌89

- ‌90

- ‌91

- ‌92

- ‌93

- ‌94

- ‌95

- ‌96

- ‌97

- ‌98

- ‌99

- ‌100

- ‌101

- ‌102

- ‌106

- ‌108

- ‌109

- ‌110

- ‌111

- ‌1

- ‌2

- ‌3

- ‌4

- ‌5

- ‌6

- ‌7

- ‌8

- ‌10

- ‌11

- ‌12

- ‌13

- ‌14

- ‌15

- ‌16

- ‌17

- ‌18

- ‌21

- ‌22

- ‌24

- ‌26

- ‌28

- ‌29

- ‌30

- ‌31

- ‌33

- ‌35

- ‌36

- ‌38

- ‌39

- ‌41

- ‌43

- ‌1

- ‌3

- ‌5

- ‌6

- ‌9

- ‌10

- ‌14

- ‌15

- ‌16

- ‌17

- ‌18

- ‌21

- ‌22

- ‌23

- ‌24

- ‌25

- ‌26

- ‌27

- ‌28

- ‌31

- ‌37

- ‌43

- ‌44

- ‌46

- ‌48

- ‌49

- ‌50

- ‌1

- ‌2

- ‌5

- ‌8

- ‌9

- ‌10

- ‌12

- ‌13

- ‌14

- ‌15

- ‌16

- ‌17

- ‌18

- ‌19

- ‌20

- ‌21

- ‌22

- ‌24

- ‌26

- ‌27

- ‌38

- ‌39

- ‌40

- ‌41

- ‌46

- ‌47

- ‌53

- ‌54

- ‌55

- ‌60

- ‌65

- ‌66

- ‌72

- ‌75

- ‌76

- ‌78

- ‌79

- ‌80

- ‌82

- ‌85

- ‌87

- ‌88

- ‌90

- ‌91

- ‌93

- ‌94

- ‌95

- ‌97

- ‌99

- ‌1

- ‌2

- ‌4

- ‌5

- ‌8

- ‌14

- ‌16

- ‌18

- ‌26

- ‌32

- ‌43

- ‌44

- ‌47

- ‌50

- ‌52

- ‌53

- ‌58

- ‌59

- ‌62

- ‌67

- ‌68

- ‌69

- ‌70

- ‌71

- ‌75

- ‌76

- ‌77

- ‌81

- ‌83

- ‌90

- ‌91

- ‌92

- ‌97

- ‌98

- ‌99

- ‌100

- ‌101

- ‌103

- ‌106

- ‌112

- ‌119

- ‌120

- ‌112

- ‌123

- ‌124

- ‌125

- ‌126

- ‌128

- ‌1

- ‌2

- ‌3

- ‌4

- ‌5

- ‌6

- ‌7

- ‌8

- ‌9

- ‌11

- ‌12

- ‌13

- ‌14

- ‌15

- ‌16

- ‌17

- ‌20

- ‌23

- ‌25

- ‌26

- ‌28

- ‌31

- ‌33

- ‌34

- ‌35

- ‌36

- ‌37

- ‌44

- ‌45

- ‌47

- ‌49

- ‌50

- ‌51

- ‌52

- ‌53

- ‌54

- ‌57

- ‌60

- ‌62

- ‌64

- ‌71

- ‌73

- ‌75

- ‌76

- ‌78

- ‌79

- ‌80

- ‌81

- ‌83

- ‌84

- ‌85

- ‌90

- ‌92

- ‌93

- ‌97

- ‌100

- ‌101

- ‌102

- ‌103

- ‌104

- ‌106

- ‌110

- ‌111

- ‌1

- ‌2

- ‌6

- ‌7

- ‌8

- ‌9

- ‌10

- ‌14

- ‌11

- ‌12

- ‌14

- ‌15

- ‌16

- ‌17

- ‌18

- ‌19

- ‌20

- ‌21

- ‌22

- ‌24

- ‌25

- ‌26

- ‌27

- ‌28

- ‌29

- ‌30

- ‌31

- ‌33

- ‌34

- ‌37

- ‌41

- ‌42

- ‌43

- ‌46

- ‌47

- ‌48

- ‌49

- ‌50

- ‌51

- ‌52

- ‌55

- ‌56

- ‌58

- ‌59

- ‌60

- ‌61

- ‌62

- ‌65

- ‌66

- ‌68

- ‌71

- ‌73

- ‌74

- ‌76

- ‌77

- ‌78

- ‌79

- ‌80

- ‌81

- ‌82

- ‌83

- ‌84

- ‌85

- ‌86

- ‌89

- ‌90

- ‌93

- ‌94

- ‌95

- ‌96

- ‌97

- ‌98

- ‌99

- ‌101

- ‌102

- ‌103

- ‌105

- ‌107

- ‌108

- ‌109

- ‌110

- ‌1

- ‌3

- ‌4

- ‌5

- ‌6

- ‌7

- ‌8

- ‌10

- ‌11

- ‌12

- ‌13

- ‌16

- ‌18

- ‌23

- ‌24

- ‌25

- ‌26

- ‌27

- ‌28

- ‌29

- ‌30

- ‌31

- ‌32

- ‌33

- ‌34

- ‌38

- ‌39

- ‌46

- ‌47

- ‌50

- ‌52

- ‌54

- ‌56

- ‌57

- ‌58

- ‌59

- ‌62

- ‌64

- ‌65

- ‌68

- ‌69

- ‌70

- ‌71

- ‌73

- ‌74

- ‌76

- ‌77

- ‌78

- ‌80

- ‌82

- ‌83

- ‌84

- ‌85

- ‌86

- ‌87

- ‌89

- ‌96

- ‌98

- ‌1

- ‌{طه}

- ‌2

- ‌3

- ‌2

- ‌7

- ‌9

- ‌10

- ‌12

- ‌14

- ‌15

- ‌16

- ‌22

- ‌27

- ‌31

- ‌39

- ‌40

- ‌41

- ‌42

- ‌44

- ‌45

- ‌50

- ‌51

- ‌52

- ‌54

- ‌56

- ‌58

- ‌59

- ‌61

- ‌62

- ‌63

- ‌64

- ‌66

- ‌67

- ‌72

- ‌73

- ‌77

- ‌81

- ‌82

- ‌86

- ‌87

- ‌88

- ‌89

- ‌92

- ‌93

- ‌94

- ‌95

- ‌96

- ‌97

- ‌98

- ‌102

- ‌103

- ‌104

- ‌105

- ‌106

- ‌107

- ‌108

- ‌112

- ‌113

- ‌114

- ‌115

- ‌117

- ‌123

- ‌124

- ‌129

- ‌130

- ‌131

- ‌132

- ‌1

- ‌2

- ‌3

- ‌5

- ‌7

- ‌8

- ‌10

- ‌12

- ‌13

- ‌15

- ‌17

- ‌18

- ‌19

- ‌21

- ‌22

- ‌23

- ‌28

- ‌31

- ‌32

- ‌33

- ‌35

- ‌37

- ‌42

- ‌43

- ‌44

- ‌48

- ‌51

- ‌58

- ‌61

- ‌63

- ‌64

- ‌65

- ‌68

- ‌71

- ‌72

- ‌74

- ‌76

- ‌80

- ‌81

- ‌84

- ‌85

- ‌87

- ‌88

- ‌89

- ‌90

- ‌91

- ‌92

- ‌93

- ‌95

- ‌96

- ‌98

- ‌101

- ‌103

- ‌104

- ‌105

- ‌106

- ‌107

- ‌109

- ‌111

- ‌1

- ‌2

- ‌3

- ‌5

- ‌9

- ‌11

- ‌13

- ‌15

- ‌18

- ‌20

- ‌21

- ‌24

- ‌25

- ‌26

- ‌27

- ‌28

- ‌29

- ‌30

- ‌31

- ‌32

- ‌33

- ‌34

- ‌36

- ‌37

- ‌38

- ‌40

- ‌45

- ‌46

- ‌47

- ‌51

- ‌52

- ‌53

- ‌55

- ‌60

- ‌62

- ‌67

- ‌73

- ‌74

- ‌76

- ‌78

- ‌1

- ‌ الْمُؤْمِنُونَ}

- ‌2

- ‌3

- ‌10

- ‌11

- ‌13

- ‌14

- ‌20

- ‌24

- ‌25

- ‌27

- ‌29

- ‌37

- ‌41

- ‌46

- ‌47

- ‌50

- ‌52

- ‌53

- ‌54

- ‌55

- ‌56

- ‌60

- ‌61

- ‌63

- ‌64

- ‌66

- ‌67

- ‌72

- ‌74

- ‌79

- ‌80

- ‌88

- ‌89

- ‌96

- ‌97

- ‌98

- ‌100

- ‌101

- ‌106

- ‌108

- ‌110

- ‌112

- ‌117

- ‌1

- ‌2

- ‌4

- ‌5

- ‌6

- ‌8

- ‌10

- ‌11

- ‌12

- ‌15

- ‌21

- ‌22

- ‌26

- ‌29

- ‌30

- ‌31

- ‌32

- ‌33

- ‌35

- ‌36

- ‌37

- ‌38

- ‌39

- ‌40

- ‌41

- ‌43

- ‌44

- ‌45

- ‌48

- ‌49

- ‌50

- ‌54

- ‌55

- ‌58

- ‌59

- ‌60

- ‌61

- ‌62

- ‌63

- ‌1

- ‌{الْفُرْقَانَ}

- ‌4

- ‌7

- ‌8

- ‌9

- ‌13

- ‌16

- ‌17

- ‌18

- ‌19

- ‌20

- ‌21

- ‌22

- ‌23

- ‌24

- ‌25

- ‌27

- ‌28

- ‌30

- ‌32

- ‌39

- ‌40

- ‌43

- ‌45

- ‌46

- ‌47

- ‌48

- ‌49

- ‌50

- ‌52

- ‌53

- ‌54

- ‌55

- ‌60

- ‌61

- ‌62

- ‌63

- ‌65

- ‌67

- ‌68

- ‌69

- ‌70

- ‌72

- ‌73

- ‌74

- ‌75

- ‌77

- ‌1

- ‌3

- ‌4

- ‌7

- ‌13

- ‌14

- ‌16

- ‌18

- ‌19

- ‌20

- ‌22

- ‌32

- ‌36

- ‌54

- ‌55

- ‌56

- ‌58

- ‌60

- ‌61

- ‌62

- ‌63

- ‌64

- ‌78

- ‌83

- ‌84

- ‌86

- ‌89

- ‌94

- ‌95

- ‌100

- ‌101

- ‌111

- ‌116

- ‌118

- ‌128

- ‌129

- ‌130

- ‌138

- ‌148

- ‌149

- ‌153

- ‌182

- ‌183

- ‌184

- ‌187

- ‌193

- ‌195

- ‌196

- ‌200

- ‌212

- ‌218

- ‌219

- ‌224

- ‌225

- ‌226

- ‌227

- ‌1

- ‌2

- ‌3

- ‌4

- ‌6

- ‌7

- ‌8

- ‌10

- ‌11

- ‌15

- ‌16

- ‌17

- ‌18

- ‌19

- ‌20

- ‌21

- ‌22

- ‌23

- ‌25

- ‌28

- ‌29

- ‌30

- ‌31

- ‌32

- ‌33

- ‌34

- ‌35

- ‌36

- ‌37

- ‌38

- ‌39

- ‌40

- ‌41

- ‌42

- ‌43

- ‌44

- ‌45

- ‌46

- ‌47

- ‌48

- ‌49

- ‌50

- ‌54

- ‌60

- ‌61

- ‌62

- ‌63

- ‌66

- ‌72

- ‌75

- ‌82

- ‌83

- ‌87

- ‌88

- ‌89

- ‌90

- ‌91

- ‌93

- ‌4

- ‌5

- ‌7

- ‌8

- ‌9

- ‌10

- ‌11

- ‌12

- ‌13

- ‌14

- ‌15

- ‌17

- ‌18

- ‌19

- ‌20

- ‌22

- ‌23

- ‌24

- ‌25

- ‌26

- ‌27

- ‌28

- ‌29

- ‌30

- ‌34

- ‌38

- ‌40

- ‌41

- ‌42

- ‌43

- ‌46

- ‌48

- ‌51

- ‌52

- ‌54

- ‌55

- ‌56

- ‌57

- ‌58

- ‌59

- ‌61

- ‌66

- ‌68

- ‌75

- ‌76

- ‌77

- ‌78

- ‌79

- ‌81

- ‌82

- ‌83

- ‌85

- ‌88

- ‌2

- ‌3

- ‌4

- ‌5

- ‌8

- ‌13

- ‌14

- ‌21

- ‌26

- ‌27

- ‌29

- ‌41

- ‌45

- ‌46

- ‌48

- ‌49

- ‌52

- ‌53

- ‌56

- ‌57

- ‌58

- ‌60

- ‌64

- ‌67

- ‌69

- ‌ الروم

- ‌7

- ‌8

- ‌10

- ‌12

- ‌14

- ‌15

- ‌16

- ‌17

- ‌18

- ‌19

- ‌21

- ‌22

- ‌23

- ‌24

- ‌25

- ‌26

- ‌27

- ‌28

- ‌30

- ‌31

- ‌35

- ‌36

- ‌38

- ‌39

- ‌41

- ‌43

- ‌44

- ‌46

- ‌47

- ‌48

- ‌50

- ‌51

- ‌52

- ‌54

- ‌55

- ‌56

- ‌57

- ‌60

- ‌2

- ‌5

- ‌6

- ‌10

- ‌12

- ‌13

- ‌14

- ‌15

- ‌16

- ‌17

- ‌18

- ‌19

- ‌20

- ‌22

- ‌27

- ‌28

- ‌29

- ‌30

- ‌31

- ‌32

- ‌33

- ‌34

- ‌2

- ‌5

- ‌7

- ‌8

- ‌9

- ‌10

- ‌11

- ‌12

- ‌13

- ‌14

- ‌15

- ‌16

- ‌17

- ‌18

- ‌21

- ‌23

- ‌24

- ‌25

- ‌27

- ‌28

- ‌29

- ‌30

- ‌1

- ‌4

- ‌5

- ‌6

- ‌7

- ‌8

- ‌9

- ‌10

- ‌11

- ‌12

- ‌13

- ‌14

- ‌15

- ‌17

- ‌18

- ‌19

- ‌20

- ‌21

- ‌22

- ‌23

- ‌24

- ‌25

- ‌26

- ‌27

- ‌28

- ‌30

- ‌31

- ‌32

- ‌33

- ‌34

- ‌35

- ‌36

- ‌37

- ‌38

- ‌40

- ‌41

- ‌42

- ‌43

- ‌45

- ‌46

- ‌47

- ‌48

- ‌49

- ‌50

- ‌51

- ‌52

- ‌53

- ‌55

- ‌56

- ‌57

- ‌58

- ‌59

- ‌60

- ‌62

- ‌67

- ‌69

- ‌70

- ‌72

- ‌73

الفصل: صبّار شكور وإذا غشيهم موجٌ كالظلل دعوا الله مخلصين له

صبّار شكور وإذا غشيهم موجٌ كالظلل دعوا الله مخلصين له الدين فلما نجّاهم إلى البر فمنهم مقتصد وما يجحد بأيتنا إلاّ كلّ ختّار كفور}

ص: 545

‌31

- {من آياته} يجري السفن فيه، أو ما تشاهدون من قدرة الله فيه، أو ما يرزقكم الله - تعالى - منه. {صَبَّارٍ} على البلوى {شَكُورٍ} على النعماء، أو صبار على طاعة شكور على الجزاء.

ص: 545

‌32

- {كَالظُّلَلِ} السحاب، أو الجبال شبهه بها لسواده، أو لعظمه {مُخْلِصِينَ} موحدين لا يدعون سواه {مُّقْتَصِدٌ} عدل يوفي بعهده الذي التزمه في البحار، أو مؤمن متمسك بالطاعة، أو مقتصد في قوله وهو كافر. {خَتَّارٍ} جاحد، أو غدار عند الجمهور. جحد الآيات: إنكار أعيانها والجحد بها إنكار دلائلها. {ياأيها النّاس اتّقّوا ربّكم واخشوا يوماً لا يجزى والد عن ولده ولا مولود هو جاز عن والده شيئاً إنّ وعد الله حق فلا تغرّنّكم الحياة الدنيا ولا يغرّنّكم بالله الغرور}

ص: 545

ص: 545

‌34

- {عِلْمُ السَّاعَةِ} وقت مجيئها. {وَيُنَزِّلُ الْغَيْثَ} يعلم نزوله في زمانه

ص: 545

ومكانه، أو منزله فيما يشاء من زمان ومكان {مَا فِى الأَرْحَامِ} من ذكر وأنثى وصحيح وسقيم، أو مؤمن وكافر وشقي وسعيد {تَكْسِبُ غَداً} من خير وشر، أو إيمان وكفر. {بِأَىِّ أَرْضٍ} على أي حكم تموت من سعادة وشقاوة، أو في أي أرض تموت وتدفن. قيل نزلت في الوارث بن عمرو بدوي قال للرسول [صلى الله عليه وسلم] : إن امرأتي حُبلى فأخبرني ماذا تلد وبلادنا جدبة فأخبرني متى ينزل الغيث وقد علمت متى ولدت " فأخبرني متى أموت وقد علمت ما عملت اليوم فأخبرني ما أعمل غداً " وأخبرني متى تقوم الساعة.

ص: 546