المَكتَبَةُ الشَّامِلَةُ السُّنِّيَّةُ

الرئيسية

أقسام المكتبة

المؤلفين

القرآن

البحث 📚

لذلك لن يأتي فيها رسول بعد رسول الله صلى الله - تفسير الشعراوي - جـ ١٧

[الشعراوي]

فهرس الكتاب

- ‌ 36]

- ‌ 38]

- ‌ 40]

- ‌ 41]

- ‌ 43]

- ‌ 44]

- ‌ 46]

- ‌ 50]

- ‌ 52]

- ‌ 53]

- ‌ 54]

- ‌ 57]

- ‌ 61]

- ‌ 63]

- ‌[الفرقان:

- ‌1]

- ‌ 2]

- ‌ 4]

- ‌ 5]

- ‌ 6]

- ‌ 7]

- ‌ 8]

- ‌ 9]

- ‌ 10]

- ‌ 11]

- ‌14]

- ‌ 15]

- ‌ 16]

- ‌ 17]

- ‌ 18]

- ‌ 19]

- ‌ 21]

- ‌ 22]

- ‌ 26]

- ‌ 27]

- ‌ 29]

- ‌ 34]

- ‌ 35]

- ‌ 36]

- ‌ 39]

- ‌ 40]

- ‌ 41]

- ‌ 44]

- ‌ 46]

- ‌ 47]

- ‌ 48]

- ‌ 49]

- ‌ 50]

- ‌ 52]

- ‌ 53]

- ‌ 54]

- ‌ 55]

- ‌ 56]

- ‌ 58]

- ‌ 59]

- ‌ 60]

- ‌ 61]

- ‌ 62]

- ‌ 65]

- ‌ 66]

- ‌ 68]

- ‌ 70]

- ‌ 71]

- ‌ 72]

- ‌ 73]

- ‌ 74]

- ‌ 75]

- ‌ 76]

- ‌ 77]

- ‌ 2]

- ‌ 4

- ‌ 5]

- ‌ 6]

- ‌ 8]

- ‌ 9]

- ‌ 10]

- ‌ 12]

- ‌ 16]

- ‌ 18]

- ‌ 19]

- ‌ 20]

- ‌ 21]

- ‌ 24]

- ‌ 28]

- ‌ 31]

- ‌ 33]

- ‌ 34]

- ‌ 35]

- ‌ 36]

- ‌ 37]

- ‌ 42]

- ‌ 44]

- ‌ 46]

- ‌ 49]

- ‌ 51]

- ‌ 53]

- ‌ 57]

- ‌ 59]

- ‌ 61]

- ‌ 62]

- ‌ 64]

- ‌ 67]

- ‌ 69]

- ‌ 71]

- ‌ 78]

- ‌ 83]

- ‌ 84]

- ‌ 88]

- ‌ 90]

- ‌ 92]

- ‌ 94]

- ‌ 102]

- ‌ 103]

- ‌ 106]

- ‌ 107]

- ‌ 109]

- ‌ 110]

- ‌ 116]

- ‌ 117]

- ‌ 120]

- ‌ 123]

- ‌ 124]

- ‌ 127]

- ‌ 129]

- ‌ 130]

- ‌ 131]

- ‌ 132]

- ‌ 136]

- ‌ 137]

- ‌ 139]

- ‌ 140]

- ‌ 142]

- ‌ 147]

- ‌ 149]

- ‌ 153]

- ‌ 154]

- ‌ 155]

- ‌ 156]

- ‌ 157]

- ‌ 166]

- ‌ 167]

- ‌ 172]

- ‌ 181]

- ‌ 183]

- ‌ 186]

- ‌ 187]

- ‌ 189]

- ‌ 190]

- ‌ 192]

- ‌ 193]

- ‌ 194]

- ‌ 195]

- ‌ 196]

- ‌ 200]

- ‌ 205]

- ‌ 213]

- ‌ 216]

- ‌ 217]

- ‌ 225]

- ‌ 4]

- ‌ 5]

- ‌ 8]

- ‌ 9]

- ‌ 11]

- ‌ 14]

- ‌ 16]

- ‌ 18]

- ‌ 19]

- ‌ 21]

- ‌ 22]

- ‌ 23]

- ‌ 25]

- ‌ 26]

- ‌ 27]

- ‌ 28]

- ‌ 29]

- ‌ 31]

- ‌ 32]

- ‌ 33]

- ‌ 34]

- ‌ 35]

- ‌ 36]

- ‌ 38]

- ‌ 39]

- ‌ 40]

- ‌ 41]

- ‌ 42]

- ‌ 43]

- ‌ 44]

- ‌ 45]

- ‌ 47]

- ‌ 48]

- ‌ 49]

- ‌ 50]

- ‌ 52]

- ‌ 54]

- ‌ 55]

- ‌ 56]

- ‌ 59]

- ‌ 60]

- ‌ 64]

- ‌ 66]

- ‌ 68]

- ‌ 71]

- ‌ 72]

- ‌ 74]

- ‌ 75]

- ‌ 77]

- ‌ 78]

- ‌ 79]

- ‌ 82]

- ‌ 83]

- ‌ 85]

- ‌ 86]

- ‌ 87]

- ‌ 88]

- ‌ 89]

- ‌ 90]

- ‌ 91]

- ‌ 92]

- ‌ 93]

- ‌ 3]

- ‌ 4]

- ‌ 5]

- ‌ 6]

- ‌ 7]

- ‌ 9]

- ‌ 11]

- ‌ 12]

- ‌ 14]

- ‌ 15]

- ‌ 16]

- ‌ 17]

- ‌ 18]

- ‌ 19]

- ‌ 22]

- ‌ 23]

- ‌ 24]

- ‌ 25]

- ‌ 26]

- ‌ 28]

- ‌ 29]

الفصل: لذلك لن يأتي فيها رسول بعد رسول الله صلى الله

لذلك لن يأتي فيها رسول بعد رسول الله صلى الله عليه وسلم َ؛ لأن المناعة ملازمة لها في الذات، وفي النفس اللوامة، وفي المجتمع الإيماني الذي لا يُعدم فيه الخير أبداً.

لذلك يقول سبحانه: {كُنْتُمْ خَيْرَ أُمَّةٍ أُخْرِجَتْ لِلنَّاسِ تَأْمُرُونَ بالمعروف وَتَنْهَوْنَ عَنِ المنكر وَتُؤْمِنُونَ بالله} [آل عمران: 110] .

وهذه صفة تفردتْ بها هذه الأمة عن باقي الأمم؛ لذلك يقول هود عليه السلام مُذكّراً لقومه ومُوقِظاً لهم: {فاتقوا الله وَأَطِيعُونِ}

ص: 10637

أي: أن ربكم عز وجل لم يترككم على ما أنتم عليه من الضلال تعبثون بالآيات، وتتخذون مصانع تطلبون الخلود، وأنكم بطشتم جبارين، وها هو يدعوكم:{فاتقوا الله وَأَطِيعُونِ} [الشعراء:‌

‌ 131]

فتقوى الله تعالى وطاعته كفيلة أنْ تُذهب ماضيكم وتمحو ذنوبكم، بل وتُبدِّله خيراً وصلاحاً {إِنَّ الحسنات يُذْهِبْنَ السيئات} [هود: 114] .

وأنا حين أُوصيكم بتقوى الله وطاعته، لا أوصيكم بهذا لصالحي أنا، فلا أقول لكم، اتقوني أو أطيعوني ولن أنتفع من طاعتكم بشيء. كذلك الحق تبارك وتعالى غني عنكم وعن طاعتكم؛ لأن له سبحانه صفات الكمال المطلق قبل أن يخلق الخَلْق، فهو سبحانه متصف بالخَلْق قبل أن يخلق، وبالقدرة قبل أن يُوجَد المقدور عليه. . إلخ.

إذن: فوجودكم لم يَزِدْ شيئاً في صفاته تعالى، وما كانت الرسالات إلا لمصلحتكم أنتم، فإذا لم تطيعوا أوامر الله، وتأخذوا منهجه، لأنه يفيدكم فأطيعوه جزاءَ ما أنعم عليكم من نِعَم لا تُعدُّ ولا تُحصَى، فالإنسان طرأ على كون أُعِدَّ لاستقباله وهُيِّىء لمعيشته،

ص: 10637