المَكتَبَةُ الشَّامِلَةُ السُّنِّيَّةُ

الرئيسية

أقسام المكتبة

المؤلفين

القرآن

البحث 📚

مصري منكر الحديث وعامة ما يرويه لا يتابع عليه ولا - سلسلة الأحاديث الضعيفة والموضوعة وأثرها السيئ في الأمة - جـ ١

[ناصر الدين الألباني]

فهرس الكتاب

- ‌مقدمة المؤلف لهذه الطبعة الجديدة:

- ‌مقدمة الطبعة الأولى

- ‌تمهيد في الأحاديث الضعيفة والموضوعة

- ‌1

- ‌2

- ‌ 3

- ‌4

- ‌5

- ‌6

- ‌7

- ‌8

- ‌9)

- ‌10

- ‌11

- ‌12

- ‌13

- ‌14

- ‌15

- ‌16

- ‌17

- ‌18

- ‌19

- ‌20

- ‌21

- ‌22

- ‌23

- ‌24

- ‌25

- ‌26

- ‌27

- ‌28

- ‌29

- ‌30

- ‌31

- ‌32

- ‌33

- ‌34

- ‌35

- ‌36

- ‌37

- ‌38

- ‌39

- ‌40

- ‌41

- ‌42

- ‌43

- ‌44

- ‌45

- ‌46

- ‌47

- ‌48

- ‌49

- ‌50

- ‌51

- ‌52

- ‌53

- ‌54

- ‌55

- ‌56

- ‌57

- ‌58

- ‌59

- ‌60

- ‌61

- ‌62

- ‌63

- ‌64

- ‌65

- ‌66

- ‌67

- ‌68

- ‌69

- ‌70

- ‌71

- ‌72

- ‌73

- ‌74

- ‌75

- ‌76

- ‌77

- ‌78

- ‌79

- ‌80

- ‌81

- ‌82

- ‌83

- ‌84

- ‌85

- ‌86

- ‌87

- ‌88

- ‌89

- ‌90

- ‌91

- ‌92

- ‌93

- ‌94

- ‌95

- ‌96

- ‌97

- ‌98

- ‌99

- ‌100

- ‌101

- ‌102

- ‌103

- ‌104

- ‌105

- ‌106

- ‌107

- ‌108

- ‌109

- ‌110

- ‌111

- ‌112

- ‌113

- ‌114

- ‌115

- ‌116

- ‌117

- ‌118

- ‌119

- ‌120

- ‌121

- ‌122

- ‌123

- ‌124

- ‌125

- ‌126

- ‌127

- ‌128

- ‌129

- ‌130

- ‌131

- ‌132

- ‌133

- ‌134

- ‌135

- ‌136

- ‌137

- ‌138

- ‌139

- ‌140

- ‌141

- ‌142

- ‌143

- ‌144

- ‌145

- ‌146

- ‌147

- ‌148

- ‌149

- ‌150

- ‌151

- ‌152

- ‌153

- ‌154

- ‌155

- ‌156

- ‌157

- ‌158

- ‌159

- ‌160

- ‌161

- ‌162

- ‌163

- ‌164

- ‌165

- ‌166

- ‌167

- ‌168

- ‌169

- ‌170

- ‌171

- ‌172

- ‌173

- ‌174

- ‌175

- ‌176

- ‌177

- ‌178

- ‌179

- ‌180

- ‌181

- ‌182

- ‌183

- ‌184

- ‌185

- ‌186

- ‌187

- ‌188

- ‌189

- ‌190

- ‌191

- ‌192

- ‌193

- ‌194

- ‌195

- ‌196

- ‌197

- ‌198

- ‌199

- ‌200

- ‌201

- ‌202

- ‌203

- ‌204

- ‌205

- ‌206

- ‌207

- ‌208

- ‌209

- ‌210

- ‌211

- ‌212

- ‌213

- ‌214

- ‌215

- ‌216

- ‌217

- ‌218

- ‌219

- ‌220

- ‌221

- ‌222

- ‌223

- ‌‌‌224

- ‌224

- ‌225

- ‌226

- ‌227

- ‌228

- ‌229

- ‌230

- ‌231

- ‌232

- ‌233

- ‌234

- ‌235

- ‌236

- ‌237

- ‌238

- ‌239

- ‌240

- ‌241

- ‌242

- ‌243

- ‌244

- ‌245

- ‌246

- ‌248

- ‌249

- ‌250

- ‌251

- ‌252

- ‌253

- ‌254

- ‌255

- ‌256

- ‌257

- ‌258

- ‌259

- ‌260

- ‌261

- ‌262

- ‌263

- ‌264

- ‌265

- ‌266

- ‌267

- ‌268

- ‌269

- ‌270

- ‌271

- ‌272

- ‌273

- ‌274

- ‌275

- ‌276

- ‌277

- ‌278

- ‌279

- ‌280

- ‌281

- ‌282

- ‌283

- ‌284

- ‌285

- ‌286

- ‌287

- ‌288

- ‌289

- ‌290

- ‌291

- ‌292

- ‌293

- ‌294

- ‌295

- ‌296

- ‌297

- ‌298

- ‌299

- ‌300

- ‌301

- ‌302

- ‌303

- ‌304

- ‌305

- ‌306

- ‌307

- ‌308

- ‌309

- ‌310

- ‌311

- ‌312

- ‌313

- ‌314

- ‌315

- ‌316

- ‌317

- ‌318

- ‌319

- ‌320

- ‌321

- ‌322

- ‌323

- ‌324

- ‌325

- ‌326

- ‌327

- ‌328

- ‌329

- ‌330

- ‌331

- ‌332

- ‌333

- ‌334

- ‌335

- ‌336

- ‌337

- ‌338

- ‌339

- ‌340

- ‌341

- ‌342

- ‌343

- ‌344

- ‌345

- ‌346

- ‌347

- ‌348

- ‌349

- ‌350

- ‌351

- ‌352

- ‌353

- ‌354

- ‌355

- ‌356

- ‌357

- ‌358

- ‌359

- ‌360

- ‌361

- ‌362

- ‌363

- ‌364

- ‌365

- ‌366

- ‌367

- ‌368

- ‌369

- ‌370

- ‌371

- ‌372

- ‌373

- ‌374

- ‌375

- ‌376

- ‌377

- ‌378

- ‌380

- ‌381

- ‌382

- ‌383

- ‌384

- ‌385

- ‌386

- ‌387

- ‌388

- ‌389

- ‌390

- ‌391

- ‌392

- ‌393

- ‌394

- ‌395

- ‌396

- ‌397

- ‌‌‌398

- ‌398

- ‌399

- ‌400

- ‌401

- ‌402

- ‌403

- ‌404

- ‌405

- ‌406

- ‌407

- ‌408

- ‌409

- ‌410

- ‌411

- ‌412

- ‌413

- ‌414

- ‌415

- ‌416

- ‌417

- ‌418

- ‌419

- ‌420

- ‌421

- ‌422

- ‌423

- ‌424

- ‌425

- ‌426

- ‌427

- ‌428

- ‌429

- ‌430

- ‌431

- ‌432

- ‌433

- ‌434

- ‌435

- ‌436

- ‌437

- ‌438

- ‌439

- ‌440

- ‌441

- ‌442

- ‌443

- ‌444

- ‌445

- ‌446

- ‌447

- ‌448

- ‌449

- ‌450

- ‌451

- ‌452

- ‌453

- ‌454

- ‌455

- ‌456

- ‌457

- ‌458

- ‌459

- ‌460

- ‌461

- ‌462

- ‌463

- ‌464

- ‌465

- ‌466

- ‌467

- ‌468

- ‌469

- ‌470

- ‌471

- ‌472

- ‌473

- ‌474

- ‌475

- ‌476

- ‌477

- ‌‌‌478

- ‌478

- ‌479

- ‌480

- ‌481

- ‌482

- ‌483

- ‌484

- ‌485

- ‌486

- ‌487

- ‌488

- ‌489

- ‌490

- ‌491

- ‌492

- ‌493

- ‌494

- ‌495

- ‌496

- ‌497

- ‌498

- ‌499

- ‌500

الفصل: مصري منكر الحديث وعامة ما يرويه لا يتابع عليه ولا

مصري منكر الحديث وعامة ما يرويه لا يتابع عليه ولا أعلم روى عنه غير ابن وهب وقال ابن أبي حاتم (4 / 1 / 442) عن أبيه: لا أعرفه والحديث الذي رواه باطل وهو منكر الحديث كما قال ابن عدي، وقد روي الحديث بإسناد موضوع وبلفظ مغاير لهذا بعض الشيء، وهو الذي قبله.

‌491

- " نهى عن بيع وشرط ".

ضعيف جدا.

قال شيخ الإسلام ابن تيمية في " الفتاوى "(18 / 63) حديث باطل ليس في شيء من كتب المسلمين وإنما يروى في حكاية منقطعة، وقال فيها أيضا (29 / 132)، وفي (3 / 326) : يروى في حكاية عن أبي حنيفة وابن أبي سلمة وشريك، ذكره جماعة من المصنفين في الفقه، ولا يوجد في شيء من دواوين الحديث، وقد أنكره أحمد وغيره من العلماء، ذكروا أنه لا يعرف، وأن الأحاديث الصحيحة تعارضه، وأجمع العلماء المعروفون من غير خلاف أعلمه أن اشتراط صفة في المبيع ونحوه كاشتراط كون العبد كاتبا أو صانعا، أو اشتراط طول الثوب أو قدر الأرض ونحو ذلك، شرط صحيح.

قلت وقد أشكل هذا على بعض الطلبة في المدينة المنورة فذكر ما أخرجه

ص: 703

الحاكم في " علوم الحديث "(ص 128) بأسانيد له عن عبد الله بن أيوب بن زاذان الضرير قال: حدثنا محمد بن سليمان الذهلي قال: حدثنا عبد الوارث بن سعيد قال:

قدمت مكة، فوجدت بها أبا حنيفة، وابن أبي ليلى، وابن شبرمة فسألت أبا حنيفة فقلت: ما تقول في رجل باع بيعا وشرط شرطا؟ قال: البيع باطل والشرط باطل.

ثم أتيت ابن أبي ليلى، فسألته؟ فقال: البيع جائر، والشرط جائز فقلت: يا سبحان الله ثلاثة من فقهاء العراق اختلفتم علي في مسألة واحدة فأتيت أبا حنيفة فأخبرته، فقال: ما أدري ما قالا، حدثني عمرو بن شعيب عن أبيه عن جده أن النبي صلى الله عليه وسلم نهى عن بيع وشرط، البيع باطل والشرط باطل.

ثم أتيت ابن أبي ليلى، فأخبرته، فقال: ما أدري ما قالا، حدثني هشام بن عروة عن أبيه عن عائشة قالت: أمرني رسول الله صلى الله عليه وسلم أن أشتري بريرة فأعتقها. البيع جائز، والشرط باطل. ثم أتيت ابن شبرمة، فأخبرته، فقال:

ما أدري ما قالا، حدثني مسعر بن كدام عن محارب بن دثار عن جابر قال: بعت من النبي صلى الله عليه وسلم ناقة، وشرط لي حملانها إلى المدينة.

البيع جائز والشرط جائز.

أقول: ولا إشكال في هذا، لأن السند مداره على ابن زاذان، وهو شديد الضعف، لقول الدارقطني فيه: متروك. وشيخه الذهلي، لم أعرفه.

ص: 704