المَكتَبَةُ الشَّامِلَةُ السُّنِّيَّةُ

الرئيسية

أقسام المكتبة

المؤلفين

القرآن

البحث 📚

‌ ‌94 - " عرى الإسلام وقواعد الدين ثلاثة، عليهن أسس - سلسلة الأحاديث الضعيفة والموضوعة وأثرها السيئ في الأمة - جـ ١

[ناصر الدين الألباني]

فهرس الكتاب

- ‌مقدمة المؤلف لهذه الطبعة الجديدة:

- ‌مقدمة الطبعة الأولى

- ‌تمهيد في الأحاديث الضعيفة والموضوعة

- ‌1

- ‌2

- ‌ 3

- ‌4

- ‌5

- ‌6

- ‌7

- ‌8

- ‌9)

- ‌10

- ‌11

- ‌12

- ‌13

- ‌14

- ‌15

- ‌16

- ‌17

- ‌18

- ‌19

- ‌20

- ‌21

- ‌22

- ‌23

- ‌24

- ‌25

- ‌26

- ‌27

- ‌28

- ‌29

- ‌30

- ‌31

- ‌32

- ‌33

- ‌34

- ‌35

- ‌36

- ‌37

- ‌38

- ‌39

- ‌40

- ‌41

- ‌42

- ‌43

- ‌44

- ‌45

- ‌46

- ‌47

- ‌48

- ‌49

- ‌50

- ‌51

- ‌52

- ‌53

- ‌54

- ‌55

- ‌56

- ‌57

- ‌58

- ‌59

- ‌60

- ‌61

- ‌62

- ‌63

- ‌64

- ‌65

- ‌66

- ‌67

- ‌68

- ‌69

- ‌70

- ‌71

- ‌72

- ‌73

- ‌74

- ‌75

- ‌76

- ‌77

- ‌78

- ‌79

- ‌80

- ‌81

- ‌82

- ‌83

- ‌84

- ‌85

- ‌86

- ‌87

- ‌88

- ‌89

- ‌90

- ‌91

- ‌92

- ‌93

- ‌94

- ‌95

- ‌96

- ‌97

- ‌98

- ‌99

- ‌100

- ‌101

- ‌102

- ‌103

- ‌104

- ‌105

- ‌106

- ‌107

- ‌108

- ‌109

- ‌110

- ‌111

- ‌112

- ‌113

- ‌114

- ‌115

- ‌116

- ‌117

- ‌118

- ‌119

- ‌120

- ‌121

- ‌122

- ‌123

- ‌124

- ‌125

- ‌126

- ‌127

- ‌128

- ‌129

- ‌130

- ‌131

- ‌132

- ‌133

- ‌134

- ‌135

- ‌136

- ‌137

- ‌138

- ‌139

- ‌140

- ‌141

- ‌142

- ‌143

- ‌144

- ‌145

- ‌146

- ‌147

- ‌148

- ‌149

- ‌150

- ‌151

- ‌152

- ‌153

- ‌154

- ‌155

- ‌156

- ‌157

- ‌158

- ‌159

- ‌160

- ‌161

- ‌162

- ‌163

- ‌164

- ‌165

- ‌166

- ‌167

- ‌168

- ‌169

- ‌170

- ‌171

- ‌172

- ‌173

- ‌174

- ‌175

- ‌176

- ‌177

- ‌178

- ‌179

- ‌180

- ‌181

- ‌182

- ‌183

- ‌184

- ‌185

- ‌186

- ‌187

- ‌188

- ‌189

- ‌190

- ‌191

- ‌192

- ‌193

- ‌194

- ‌195

- ‌196

- ‌197

- ‌198

- ‌199

- ‌200

- ‌201

- ‌202

- ‌203

- ‌204

- ‌205

- ‌206

- ‌207

- ‌208

- ‌209

- ‌210

- ‌211

- ‌212

- ‌213

- ‌214

- ‌215

- ‌216

- ‌217

- ‌218

- ‌219

- ‌220

- ‌221

- ‌222

- ‌223

- ‌‌‌224

- ‌224

- ‌225

- ‌226

- ‌227

- ‌228

- ‌229

- ‌230

- ‌231

- ‌232

- ‌233

- ‌234

- ‌235

- ‌236

- ‌237

- ‌238

- ‌239

- ‌240

- ‌241

- ‌242

- ‌243

- ‌244

- ‌245

- ‌246

- ‌248

- ‌249

- ‌250

- ‌251

- ‌252

- ‌253

- ‌254

- ‌255

- ‌256

- ‌257

- ‌258

- ‌259

- ‌260

- ‌261

- ‌262

- ‌263

- ‌264

- ‌265

- ‌266

- ‌267

- ‌268

- ‌269

- ‌270

- ‌271

- ‌272

- ‌273

- ‌274

- ‌275

- ‌276

- ‌277

- ‌278

- ‌279

- ‌280

- ‌281

- ‌282

- ‌283

- ‌284

- ‌285

- ‌286

- ‌287

- ‌288

- ‌289

- ‌290

- ‌291

- ‌292

- ‌293

- ‌294

- ‌295

- ‌296

- ‌297

- ‌298

- ‌299

- ‌300

- ‌301

- ‌302

- ‌303

- ‌304

- ‌305

- ‌306

- ‌307

- ‌308

- ‌309

- ‌310

- ‌311

- ‌312

- ‌313

- ‌314

- ‌315

- ‌316

- ‌317

- ‌318

- ‌319

- ‌320

- ‌321

- ‌322

- ‌323

- ‌324

- ‌325

- ‌326

- ‌327

- ‌328

- ‌329

- ‌330

- ‌331

- ‌332

- ‌333

- ‌334

- ‌335

- ‌336

- ‌337

- ‌338

- ‌339

- ‌340

- ‌341

- ‌342

- ‌343

- ‌344

- ‌345

- ‌346

- ‌347

- ‌348

- ‌349

- ‌350

- ‌351

- ‌352

- ‌353

- ‌354

- ‌355

- ‌356

- ‌357

- ‌358

- ‌359

- ‌360

- ‌361

- ‌362

- ‌363

- ‌364

- ‌365

- ‌366

- ‌367

- ‌368

- ‌369

- ‌370

- ‌371

- ‌372

- ‌373

- ‌374

- ‌375

- ‌376

- ‌377

- ‌378

- ‌380

- ‌381

- ‌382

- ‌383

- ‌384

- ‌385

- ‌386

- ‌387

- ‌388

- ‌389

- ‌390

- ‌391

- ‌392

- ‌393

- ‌394

- ‌395

- ‌396

- ‌397

- ‌‌‌398

- ‌398

- ‌399

- ‌400

- ‌401

- ‌402

- ‌403

- ‌404

- ‌405

- ‌406

- ‌407

- ‌408

- ‌409

- ‌410

- ‌411

- ‌412

- ‌413

- ‌414

- ‌415

- ‌416

- ‌417

- ‌418

- ‌419

- ‌420

- ‌421

- ‌422

- ‌423

- ‌424

- ‌425

- ‌426

- ‌427

- ‌428

- ‌429

- ‌430

- ‌431

- ‌432

- ‌433

- ‌434

- ‌435

- ‌436

- ‌437

- ‌438

- ‌439

- ‌440

- ‌441

- ‌442

- ‌443

- ‌444

- ‌445

- ‌446

- ‌447

- ‌448

- ‌449

- ‌450

- ‌451

- ‌452

- ‌453

- ‌454

- ‌455

- ‌456

- ‌457

- ‌458

- ‌459

- ‌460

- ‌461

- ‌462

- ‌463

- ‌464

- ‌465

- ‌466

- ‌467

- ‌468

- ‌469

- ‌470

- ‌471

- ‌472

- ‌473

- ‌474

- ‌475

- ‌476

- ‌477

- ‌‌‌478

- ‌478

- ‌479

- ‌480

- ‌481

- ‌482

- ‌483

- ‌484

- ‌485

- ‌486

- ‌487

- ‌488

- ‌489

- ‌490

- ‌491

- ‌492

- ‌493

- ‌494

- ‌495

- ‌496

- ‌497

- ‌498

- ‌499

- ‌500

الفصل: ‌ ‌94 - " عرى الإسلام وقواعد الدين ثلاثة، عليهن أسس

‌94

- " عرى الإسلام وقواعد الدين ثلاثة، عليهن أسس الإسلام، من ترك واحدة منهن فهو بها كافر حلال الدم: شهادة أن لا إله إلا الله، والصلاة المكتوبة، وصوم رمضان ".

ضعيف.

رواه أبو يعلى في " مسنده "(ق 126 / 2) واللالكائي في " السنة "(1 / 202 / 1) من طريق مؤمل بن إسماعيل قال حدثنا حماد بن زيد عن عمرو بن مالك النكري عن أبي الجوزاء عن ابن عباس، قال حماد: ولا أعلمه إلا قد رفعه إلى النبي صلى الله عليه وسلم قال: فذكره.

قال المنذري (1 / 196) وتبعه الهيثمي (1 / 48) : وإسناده حسن.

قلت: وفيما قالاه نظر، فإن عمرا هذا لم يوثقه غير ابن حبان (7 / 228، 8 /487) ، وهو متساهل في التوثيق حتى أنه ليوثق المجهولين عند الأئمة النقاد كما سبق التنبيه على ذلك مرارا، فالقلب لا يطمئن لما تفرد بتوثيقه، ولا سيما أنه قد قال هو نفسه في مالك هذا: يعتبر حديثه من غير رواية ابنه يحيى عنه، يخطيء ويغرب، فإذا كان من شأنه أن يخطيء ويأتي بالغرائب، فالأحرى به أن لا يحتج بحديثه إلا إذا توبع عليه لكي نأمن خطأه، فأما إذا تفرد بالحديث كما هنا - فاللائق به الضعف.

وأيضا فإن مؤمل بن إسماعيل صدوق كثير الخطأ كما قال أبو حاتم وغيره.

ص: 211

ويغلب على الظن أن الحديث إن كان له أصل عن ابن عباس رضي الله عنه فهو موقوف عليه، فقد تردد حماد بن زيد بعض الشيء في رفعه إلى النبي صلى الله عليه وسلم، نعم جزم برفعه إلى النبي صلى الله عليه وسلم سعيد بن زيد أخوحماد، لكن سعيد هذا ليس بحجة كما قال السعدي، وقال النسائي وغيره: ليس بالقوي، ثم إن ظاهر

الحديث مخالف للحديث المتفق على صحته: " بني الإسلام على خمس

" الحديث، وذلك من وجهين:

الأول: أن هذا جعل أسس الإسلام خمسة، وذاك صيرها ثلاثة.

الآخر: أن هذا لم يقطع بكفر من ترك شيئا من الأسس، بينما ذاك يقول: من ترك واحدة منهن فهو كافر، وفي رواية سعيد بن حماد: فهو بالله كافر ولا أعتقد أن أحدا من العلماء المعتبرين يكفر من ترك صوم رمضان مثلا غير مستحل له خلافا لما يفيده ظاهر الحديث، فهذا دليل عملي من الأمة على ضعف هذا الحديث والله أعلم.

ومما لا شك فيه أن التساهل بأداء ركن واحد من هذه الأركان الأربعة العملية مما يعرض فاعل ذلك للوقوع في الكفر كما أشار إلى ذلك قوله صلى الله عليه وسلم:

" بين الرجل وبين الكفر ترك الصلاة "، رواه مسلم وغيره.

ص: 212