المَكتَبَةُ الشَّامِلَةُ السُّنِّيَّةُ

الرئيسية

أقسام المكتبة

المؤلفين

القرآن

البحث 📚

الأولى: عمر بن عبد الرحمن بن يزيد، لم أعرفه، ووقع - سلسلة الأحاديث الضعيفة والموضوعة وأثرها السيئ في الأمة - جـ ٤

[ناصر الدين الألباني]

فهرس الكتاب

- ‌المقدمة:

- ‌1501

- ‌1502

- ‌1503

- ‌1504

- ‌1505

- ‌1506

- ‌1507

- ‌1508

- ‌1509

- ‌1510

- ‌1511

- ‌1512

- ‌1513

- ‌1514

- ‌1515

- ‌1516

- ‌1517

- ‌1518

- ‌1519

- ‌1520

- ‌1521

- ‌1522

- ‌1523

- ‌1524

- ‌1525

- ‌1526

- ‌1527

- ‌1528

- ‌1529

- ‌1530

- ‌1531

- ‌1532

- ‌1533

- ‌1534

- ‌1535

- ‌1536

- ‌1537

- ‌1538

- ‌1539

- ‌1540

- ‌1541

- ‌1542

- ‌1543

- ‌1544

- ‌1545

- ‌1546

- ‌1547

- ‌1548

- ‌1549

- ‌1550

- ‌1551

- ‌1552

- ‌1553

- ‌1554

- ‌1555

- ‌1556

- ‌1557

- ‌1558

- ‌1559

- ‌1560

- ‌‌‌1561

- ‌1561

- ‌1562

- ‌1563

- ‌1564

- ‌1565

- ‌1566

- ‌1567

- ‌1568

- ‌1569

- ‌1570

- ‌1571

- ‌1572

- ‌1573

- ‌1574

- ‌1575

- ‌1576

- ‌1577

- ‌1578

- ‌1579

- ‌1580

- ‌1581

- ‌1582

- ‌1583

- ‌1584

- ‌1585

- ‌1586

- ‌1587

- ‌1588

- ‌1589

- ‌1590

- ‌1591

- ‌1592

- ‌1593

- ‌1594

- ‌1595

- ‌1596

- ‌1597

- ‌1598

- ‌1599

- ‌1600

- ‌1601

- ‌1602

- ‌1603

- ‌1604

- ‌1605

- ‌1606

- ‌1607

- ‌1608

- ‌1609

- ‌1610

- ‌1611

- ‌1613

- ‌1614

- ‌1615

- ‌1616

- ‌1617

- ‌1618

- ‌1619

- ‌1620

- ‌1621

- ‌1622

- ‌1623

- ‌1624

- ‌1625

- ‌1626

- ‌1627

- ‌1628

- ‌1629

- ‌1630

- ‌1631

- ‌1632

- ‌1633

- ‌1634

- ‌1635

- ‌1636

- ‌1637

- ‌1638

- ‌1639

- ‌1640

- ‌1641

- ‌1642

- ‌1643

- ‌1644

- ‌1645

- ‌1646

- ‌1647

- ‌1648

- ‌1649

- ‌1650

- ‌1651

- ‌1652

- ‌1653

- ‌1654

- ‌1655

- ‌1656

- ‌1657

- ‌1658

- ‌1659

- ‌1660

- ‌1661

- ‌1662

- ‌1663

- ‌1664

- ‌1665

- ‌1666

- ‌1667

- ‌1668

- ‌1669

- ‌1670

- ‌1671

- ‌1672

- ‌1673

- ‌1674

- ‌1675

- ‌1676

- ‌1677

- ‌1678

- ‌1679

- ‌1680

- ‌1681

- ‌1682

- ‌1683

- ‌1684

- ‌1685

- ‌1686

- ‌1687

- ‌1688

- ‌1689

- ‌1690

- ‌1691

- ‌1692

- ‌1693

- ‌1694

- ‌1695

- ‌1696

- ‌1697

- ‌1698

- ‌1699

- ‌1700

- ‌1701

- ‌1702

- ‌1703

- ‌1704

- ‌1705

- ‌1706

- ‌1707

- ‌1708

- ‌1709

- ‌1710

- ‌1711

- ‌1712

- ‌1713

- ‌1714

- ‌1715

- ‌1716

- ‌1717

- ‌1718

- ‌1719

- ‌1720

- ‌1721

- ‌1722

- ‌1723

- ‌1724

- ‌1725

- ‌1726

- ‌1728

- ‌1729

- ‌1730

- ‌1731

- ‌1732

- ‌1733

- ‌1734

- ‌1735

- ‌1736

- ‌1737

- ‌1738

- ‌1739

- ‌1740

- ‌1741

- ‌1742

- ‌1743

- ‌1744

- ‌1745

- ‌1746

- ‌1747

- ‌1748

- ‌1749

- ‌1750

- ‌1751

- ‌1752

- ‌1753

- ‌1754

- ‌1755

- ‌1756

- ‌1757

- ‌1758

- ‌1759

- ‌1760

- ‌1761

- ‌1762

- ‌1763

- ‌1764

- ‌1765

- ‌1766

- ‌1767

- ‌1768

- ‌1769

- ‌1770

- ‌1771

- ‌1772

- ‌1773

- ‌1774

- ‌1775

- ‌1776

- ‌1777

- ‌1778

- ‌1779

- ‌1780

- ‌1781

- ‌1782

- ‌1783

- ‌1784

- ‌1785

- ‌1786

- ‌1787

- ‌1788

- ‌1789

- ‌1790

- ‌1791

- ‌1792

- ‌1793

- ‌1794

- ‌1795

- ‌1796

- ‌1797

- ‌1798

- ‌1799

- ‌1800

- ‌1801

- ‌1802

- ‌1803

- ‌1804

- ‌1805

- ‌1806

- ‌1807

- ‌1808

- ‌1809

- ‌1810

- ‌1811

- ‌1812

- ‌1813

- ‌1814

- ‌1815

- ‌1816

- ‌1817

- ‌1818

- ‌1819

- ‌1820

- ‌1821

- ‌1822

- ‌1823

- ‌1824

- ‌1825

- ‌1826

- ‌1827

- ‌1828

- ‌1829

- ‌1830

- ‌1831

- ‌1832

- ‌1833

- ‌1834

- ‌1835

- ‌1836

- ‌1837

- ‌1838

- ‌1839

- ‌1840

- ‌1841

- ‌1842

- ‌1843

- ‌1844

- ‌1845

- ‌1846

- ‌1847

- ‌1848

- ‌1849

- ‌1850

- ‌1851

- ‌1852

- ‌1853

- ‌1854

- ‌1855

- ‌1856

- ‌1857

- ‌1858

- ‌1859

- ‌1860

- ‌1861

- ‌1862

- ‌1863

- ‌1864

- ‌1865

- ‌1866

- ‌1867

- ‌1868

- ‌1869

- ‌1870

- ‌1871

- ‌1872

- ‌1873

- ‌1874

- ‌1875

- ‌1876

- ‌1877

- ‌1878

- ‌1879

- ‌1880

- ‌1881

- ‌1882

- ‌1883

- ‌1884

- ‌1885

- ‌1886

- ‌1887

- ‌1888

- ‌1889

- ‌1890

- ‌1891

- ‌1893

- ‌1894

- ‌1895

- ‌1896

- ‌1897

- ‌1898

- ‌1899

- ‌1900

- ‌1901

- ‌1902

- ‌1903

- ‌1904

- ‌1905

- ‌1906

- ‌1907

- ‌1908

- ‌1909

- ‌1910

- ‌1911

- ‌1912

- ‌1913

- ‌1914

- ‌1915

- ‌1916

- ‌1917

- ‌1918

- ‌1919

- ‌1920

- ‌1921

- ‌1922

- ‌1923

- ‌1924

- ‌1925

- ‌1926

- ‌1927

- ‌1928

- ‌1929

- ‌1930

- ‌1931

- ‌1932

- ‌1933

- ‌1934

- ‌1935

- ‌1936

- ‌1937

- ‌1938

- ‌1939

- ‌1940

- ‌1941

- ‌1942

- ‌1943

- ‌1944

- ‌1946

- ‌1947

- ‌1948

- ‌1949

- ‌1950

- ‌1951

- ‌1952

- ‌1953

- ‌1954

- ‌1955

- ‌1956

- ‌1957

- ‌1958

- ‌1959

- ‌1960

- ‌1961

- ‌1962

- ‌1963

- ‌1964

- ‌1965

- ‌1966

- ‌1967

- ‌1968

- ‌1969

- ‌1970

- ‌1971

- ‌1972

- ‌1973

- ‌1974

- ‌1975

- ‌1976

- ‌1977

- ‌1978

- ‌1979

- ‌1980

- ‌1981

- ‌1982

- ‌1983

- ‌1984

- ‌1985

- ‌1986

- ‌1987

- ‌1988

- ‌1989

- ‌1990

- ‌1991

- ‌1992

- ‌1993

- ‌1994

- ‌1995

- ‌1996

- ‌1997

- ‌1998

- ‌1999

- ‌2000

الفصل: الأولى: عمر بن عبد الرحمن بن يزيد، لم أعرفه، ووقع

الأولى: عمر بن عبد الرحمن بن يزيد، لم أعرفه، ووقع عند الدارقطني (عمر) غير منسوب، فقال

عقبه: " هذا عندي عمر بن يزيد قاضي المدائن ". قلت: والمدائني قال فيه ابن

عدي (5 / 1687) : " منكر الحديث ". الثانية: سلام بن سليمان، قال الذهبي

في " الضعفاء ": " قال ابن عدي: عامة ما يرويه لا يتابع عليه ". ولذا قال

الحافظ في " التقريب ": " ضعيف ". الثالثة: حسين بن نصر. لا يعرف كما قال

ابن القطان. وقد روي الحديث من طريق أخرى من حديث مرثد بن أبي مرثد الغنوي

مرفوعا نحوه، وهو الآتي بعده:

‌1823

- " إن سركم أن تقبل صلاتكم، فليؤمكم خياركم، فإنهم وفدكم فيما بينكم، وبين ربكم ".

ضعف.

أخرجه الدارقطني (ص 197) وابن منده في " المعرفة "(2 / 174 / 2) والحاكم (3 / 222) من طريق يحيى بن يعلى الأسلمي عن عبد الله بن موسى عن القاسم السامي - من ولد سامة بن لوي - عن مرثد بن أبي مرثد الغنوي - وكان

بدريا - قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: فذكره. وقال الدارقطني:

" إسناد غير ثابت، وعبد الله بن موسى ضعيف ". قلت: هو التيمي المدني، قال

الحافظ: " صدوق كثير الخطأ ". قلت: وشيخه القاسم السامي لم أجد له ترجمة.

ص: 303

والراوي عنه يحيى بن يعلى الأسلمي ضعيف كما في " التقريب " و" المجمع "

للهيثمي (2 / 64) وعزاه للطبراني في " الكبير " وهو عنده (20 / 328) بلفظ

: " علماؤكم " بدل: " خياركم ". قلت: وهو بهذا اللفظ منكر. وقد رواه

إسماعيل بن أبان الوراق، فقال: أخبرنا يحيى بن يعلى الأسلمي عن القاسم

الشيباني عن أبي أمامة مرفوعا به دون قوله: " فإنهم

". فجعله من مسند أبي

أمامة، وأسقط من السند عبد الله بن موسى، وأظنه من الأسلمي الضعيف، لا من

الوراق، فإنه ثقة. وقد روي الحديث من طريق أخرى مختصرا، بلفظ: " إن سركم

أن تزكوا صلاتكم، فقدموا خياركم ". أخرجه الدارقطني (ص 132) وابن عدي في

" الكامل "(ق 199 / 2) من طريق أبي الوليد خالد بن إسماعيل عن ابن جريج عن

عطاء عن أبي هريرة مرفوعا به. وقال الدارقطني: " أبو الوليد ضعيف "! كذا

قال، والصواب قول ابن عدي فيه:" يضع الحديث على ثقات المسلمين ". وقد

سرقه منه بعض الكذابين، فرواه محمد بن إسماعيل بن موسى الرازي قال: نبأنا أبو

عامر عمرو بن تميم بن سيار الطبري قال: نبأنا هو ذة بن خليفة البكراوي عن ابن

جريج به. أخرجه الخطيب في ترجمة الرازي هذا من " تاريخ بغداد "(2 / 51)

وقال: " هذا حديث منكر بهذا الإسناد، ورجاله كلهم ثقات، والحمل فيه على

الرازي، وكان غير ثقة ". ثم ساق له أحاديث، وقال: " إنها باطلة ". وروى

عن أبي القاسم الطبري الحافظ

ص: 304