المَكتَبَةُ الشَّامِلَةُ السُّنِّيَّةُ

الرئيسية

أقسام المكتبة

المؤلفين

القرآن

البحث 📚

أخرجه أبو دواد في " سننه " (4827) ، وعنه - سلسلة الأحاديث الضعيفة والموضوعة وأثرها السيئ في الأمة - جـ ٦

[ناصر الدين الألباني]

فهرس الكتاب

- ‌2501

- ‌2502

- ‌2503

- ‌2504

- ‌2505

- ‌2506

- ‌2507

- ‌2508

- ‌2509

- ‌2510

- ‌2511

- ‌2512

- ‌2513

- ‌2514

- ‌2515

- ‌2516

- ‌2517

- ‌2518

- ‌2519

- ‌2520

- ‌2521

- ‌2522

- ‌2523

- ‌2524

- ‌2525

- ‌2526

- ‌2527

- ‌2528

- ‌2529

- ‌2530

- ‌2531

- ‌2532

- ‌2533

- ‌2534

- ‌2535

- ‌2536

- ‌2537

- ‌2538

- ‌2539

- ‌2540

- ‌2541

- ‌2542

- ‌2543

- ‌2544

- ‌2545

- ‌2546

- ‌2547

- ‌2548

- ‌2549

- ‌2550

- ‌2551

- ‌2552

- ‌2553

- ‌2554

- ‌2555

- ‌2556

- ‌2557

- ‌2558

- ‌2559

- ‌2560

- ‌2561

- ‌2562

- ‌2563

- ‌2564

- ‌2565

- ‌2566

- ‌2567

- ‌2568

- ‌2569

- ‌2570

- ‌2571

- ‌2572

- ‌2573

- ‌2574

- ‌2575

- ‌2576

- ‌2577

- ‌2578

- ‌2579

- ‌2580

- ‌2581

- ‌2582

- ‌2583

- ‌2584

- ‌2585

- ‌2586

- ‌2587

- ‌2588

- ‌2589

- ‌2590

- ‌2591

- ‌2592

- ‌2593

- ‌2594

- ‌2595

- ‌2596

- ‌2597

- ‌2598

- ‌2599

- ‌2600

- ‌2601

- ‌2602

- ‌2603

- ‌2604

- ‌2605

- ‌2606

- ‌2607

- ‌2608

- ‌2609

- ‌2610

- ‌2611

- ‌2612

- ‌2613

- ‌2614

- ‌2615

- ‌2616

- ‌2617

- ‌2618

- ‌2619

- ‌2620

- ‌2621

- ‌2622

- ‌2623

- ‌2624

- ‌2625

- ‌2626

- ‌2627

- ‌2628

- ‌2629

- ‌2630

- ‌2631

- ‌2632

- ‌2633

- ‌2634

- ‌2635

- ‌2636

- ‌2637

- ‌2638

- ‌2639

- ‌2640

- ‌2641

- ‌2642

- ‌2643

- ‌2644

- ‌2645

- ‌2646

- ‌2647

- ‌2648

- ‌2649

- ‌2650

- ‌2651

- ‌2652

- ‌2653

- ‌2654

- ‌2655

- ‌2656

- ‌2657

- ‌2658

- ‌2659

- ‌2660

- ‌2661

- ‌2662

- ‌2663

- ‌2664

- ‌2665

- ‌2666

- ‌2667

- ‌2668

- ‌2669

- ‌2670

- ‌2671

- ‌2672

- ‌2673

- ‌2674

- ‌2675

- ‌2676

- ‌2677

- ‌2678

- ‌2679

- ‌2680

- ‌2681

- ‌2682

- ‌2683

- ‌2684

- ‌2685

- ‌2686

- ‌2687

- ‌2688

- ‌2689

- ‌2690

- ‌2691

- ‌2692

- ‌2693

- ‌2694

- ‌2695

- ‌2696

- ‌2697

- ‌2698

- ‌2699

- ‌2700

- ‌2701

- ‌2702

- ‌2703

- ‌2704

- ‌2705

- ‌2706

- ‌2707

- ‌2708

- ‌2709

- ‌2710

- ‌2711

- ‌2712

- ‌2713

- ‌2714

- ‌2715

- ‌2716

- ‌2717

- ‌2718

- ‌2719

- ‌2720

- ‌2721

- ‌2722

- ‌2723

- ‌2724

- ‌2725

- ‌2726

- ‌2727

- ‌2728

- ‌2729

- ‌2730

- ‌2731

- ‌2732

- ‌2733

- ‌2734

- ‌2735

- ‌2736

- ‌2737

- ‌2738

- ‌2739

- ‌2740

- ‌2741

- ‌2742

- ‌2743

- ‌2744

- ‌2745

- ‌2746

- ‌2747

- ‌2748

- ‌2749

- ‌2750

- ‌2751

- ‌2752

- ‌2753

- ‌2754

- ‌2755

- ‌2756

- ‌2757

- ‌2758

- ‌2759

- ‌2760

- ‌2761

- ‌2762

- ‌2763

- ‌2764

- ‌2765

- ‌2766

- ‌2767

- ‌2768

- ‌2769

- ‌2770

- ‌2771

- ‌2772

- ‌2773

- ‌2774

- ‌2775

- ‌2776

- ‌2777

- ‌2778

- ‌2779

- ‌2780

- ‌2781

- ‌2782

- ‌2783

- ‌2784

- ‌2785

- ‌2786

- ‌2787

- ‌2788

- ‌2789

- ‌2790

- ‌2791

- ‌2792

- ‌2793

- ‌2794

- ‌2795

- ‌2796

- ‌2797

- ‌2798

- ‌2799

- ‌2800

- ‌2801

- ‌2802

- ‌2803

- ‌2805

- ‌2806

- ‌2807

- ‌2808

- ‌2809

- ‌2810

- ‌2811

- ‌2812

- ‌2813

- ‌2814

- ‌2815

- ‌2816

- ‌2817

- ‌2818

- ‌2819

- ‌2820

- ‌2821

- ‌2822

- ‌2823

- ‌2824

- ‌2825

- ‌2826

- ‌2827

- ‌2828

- ‌2829

- ‌2830

- ‌2831

- ‌2832

- ‌2833

- ‌2834

- ‌2835

- ‌2836

- ‌2837

- ‌2838

- ‌2839

- ‌2840

- ‌2841

- ‌2842

- ‌2843

- ‌2844

- ‌2845

- ‌2846

- ‌2847

- ‌2848

- ‌2849

- ‌2850

- ‌2851

- ‌2852

- ‌2853

- ‌2854

- ‌2855

- ‌2856

- ‌2857

- ‌2858

- ‌2859

- ‌2860

- ‌2861

- ‌2862

- ‌2863

- ‌2864

- ‌2865

- ‌2866

- ‌2867

- ‌2868

- ‌2869

- ‌2870

- ‌2871

- ‌2872

- ‌2873

- ‌2874

- ‌2875

- ‌2876

- ‌2877

- ‌2878

- ‌2879

- ‌2880

- ‌2881

- ‌2882

- ‌2883

- ‌2884

- ‌2885

- ‌2886

- ‌2887

- ‌2888

- ‌2889

- ‌2890

- ‌2891

- ‌2892

- ‌2893

- ‌2894

- ‌2895

- ‌2896

- ‌2897

- ‌2898

- ‌2899

- ‌2900

- ‌2901

- ‌2902

- ‌2903

- ‌2904

- ‌2905

- ‌2906

- ‌2907

- ‌2908

- ‌2909

- ‌2910

- ‌2911

- ‌2912

- ‌2913

- ‌2914

- ‌2915

- ‌2917

- ‌2918

- ‌2919

- ‌2920

- ‌2921

- ‌2922

- ‌2923

- ‌2924

- ‌2925

- ‌2926

- ‌2927

- ‌2928

- ‌2929

- ‌2930

- ‌2931

- ‌2932

- ‌2933

- ‌2934

- ‌2935

- ‌2936

- ‌2937

- ‌2938

- ‌2939

- ‌2940

- ‌2941

- ‌2942

- ‌2943

- ‌2944

- ‌2945

- ‌2946

- ‌2947

- ‌2948

- ‌2949

- ‌2950

- ‌2951

- ‌2952

- ‌2953

- ‌2955

- ‌2956

- ‌2957

- ‌2958

- ‌2959

- ‌2960

- ‌2961

- ‌2962

- ‌2963

- ‌2964

- ‌2965

- ‌2966

- ‌2967

- ‌2968

- ‌2969

- ‌2970

- ‌2971

- ‌2972

- ‌2973

- ‌2974

- ‌2975

- ‌2976

- ‌2977

- ‌2978

- ‌2979

- ‌2980

- ‌2981

- ‌2982

- ‌2983

- ‌2984

- ‌2985

- ‌2986

- ‌2987

- ‌2988

- ‌2989

- ‌2990

- ‌2991

- ‌2992

- ‌2993

- ‌2994

- ‌2995

- ‌2996

- ‌2997

- ‌2998

- ‌2999

- ‌3000

الفصل: أخرجه أبو دواد في " سننه " (4827) ، وعنه

أخرجه أبو دواد في " سننه "(4827)، وعنه البيهقي وقال:

" وهكذا رواه جماعة عن شعبة. ورواه عنه الطيالسي بالشك في متنه ".

قلت: ثم ساقه عنه كما تقدم؛ ثم قال:

" فيحتمل أن يكون الحديث عن النبي صلى الله عليه وسلم في النهي عن الأقامة، كما رواه الحافظ عن ابن عمر وجابر بن عبد الله عن النبي صلى الله عليه وسلم، وأن ابن عمر وأبا بكرة كأنا ينزهان عن الجلوس، وإن قاموا لهما تبرعا، دون الإقامة ".

قلت: وقد روي الحديث عن أبي هريرة مرفوعا بلفظ:

" لا يقوم الرجل للرجل من مجلسه، ولكن افسحوا يفسح الله لكم ".

أخرجه أحمد (2/483) من طريق فليح عن أيوب بن عبد الرحمن بن صعصعة الأنصاري عن يعقوب بن أبي يعقوب عنه.

ورجاله ثقات غير فليج - وهو ابن سليمان المدني - وهو من رجال الشيخين، ولذلك كنت ذهبت قديما إلى تقوية الحديث، ثم تنبهت بعد لأي أن في بعض رجالهما من تكلم فيه غيرهما من الأئمة بجرح مفسر، ومنهم فليح هذا؛ ولذلك أورده الذهبي في " الضعفاء " وقال:

" له غرائب، قال النسائي وابن معين: ليس بقوي ".

وقال الحافظ في " التقريب ":

" صدوق كثير الخطأ ".

‌2693

- (إذا قال العبد: يارب - أربعا -، قال الله تبارك وتعالى: لبيك عبدي سل تعط) .

ص: 216

ضعيف جدا. أخرجه البزار (ص 308- زوائده) : حدثنا إسحاق بن وهب العلاف: حدثنا يعقوب بن محمد (كذا) : حدثنا الحكم بن سعيد: حدثنا هشام بن عروة عن أبيه عن عائشة: أن النبي صلى الله عليه وسلم قال: فذكره؛ وقال:

" لا نعلمه بهذا اللفظ إلا من هذا الوجه ".

قال الشيخ - يعني الهيثمي -:

" الحكم ضعيف ".

قلت: بل هو أسوء حالا من ذلك، فقد قال فيه البخاري:

" منكر الحديث ".

ومن المعلوم أنه لا يقول هذا إلا فيمن هو في أدنى درجات الضعف.

ويعقوب بن محمد؛ الظاهر أنه ابن عيسى الذهري المدني؛ قال الحافظ:

" صدق، كثير الوهم والرواية عن الضعفاء ".

والحديث عزاه السيوطي في " الجامع " لابن أبي الدنيا وحده في " الدعاء "؛ قال المناوي:

" مرفوعا وموقوفا، وأيا ما كان، ضعيف، لأنه فيه يعقوب الزهري لا يعرف عن الحكم الأموي مضعف، لكن يقويه خبر البزار: إذا قال العبد. . . ".

قلت: وهذا من عجائبه؛ فإنه يقوي الحديث الضعيف بنفسه! فقد عرفت أن إسناد البزار هو عين إسناد ابن أبي الدنيا، غير أننا استفدنا منه تسمية والد يعقوب، واستفدنا من إسناد ابن أبي الدنيا أنه زهري فتأكدت بذلك من صحة ما استظهرته أنه عيسى الذهري المدني، وظاهر بعد ذلك أن المناوي لم يقف على إسناد البزار، وإلا لما قوى به إسناد ابن أبي الدنيا وهو هو!!

ص: 217