المَكتَبَةُ الشَّامِلَةُ السُّنِّيَّةُ

الرئيسية

أقسام المكتبة

المؤلفين

القرآن

البحث 📚

عراك إنما رواه عن سليمان عن عراك ". ثم ساق إسناده - سلسلة الأحاديث الصحيحة وشيء من فقهها وفوائدها - جـ ٥

[ناصر الدين الألباني]

فهرس الكتاب

- ‌2001

- ‌2002

- ‌2003

- ‌2004

- ‌2005

- ‌2006

- ‌2007

- ‌2008

- ‌2009

- ‌2010

- ‌2011

- ‌2012

- ‌2013

- ‌2014

- ‌2015

- ‌2016

- ‌2017

- ‌2018

- ‌2019

- ‌2020

- ‌2021

- ‌2022

- ‌2023

- ‌2024

- ‌2025

- ‌2026

- ‌2027

- ‌2028

- ‌2029

- ‌2030

- ‌2031

- ‌2032

- ‌2033

- ‌2034

- ‌2035

- ‌2036

- ‌2037

- ‌2038

- ‌2039

- ‌2040

- ‌2041

- ‌2042

- ‌2043

- ‌2044

- ‌2045

- ‌2046

- ‌2047

- ‌2048

- ‌2049

- ‌2050

- ‌2051

- ‌2052

- ‌2053

- ‌2054

- ‌2055

- ‌2056

- ‌2057

- ‌2058

- ‌2059

- ‌2060

- ‌2061

- ‌2062

- ‌2063

- ‌2064

- ‌2065

- ‌2066

- ‌2067

- ‌2068

- ‌2069

- ‌2070

- ‌2071

- ‌2072

- ‌2073

- ‌2074

- ‌2075

- ‌2076

- ‌2077

- ‌2078

- ‌2079

- ‌2080

- ‌2081

- ‌2082

- ‌2083

- ‌2084

- ‌2085

- ‌2086

- ‌2087

- ‌2088

- ‌2089

- ‌2090

- ‌2091

- ‌2092

- ‌2093

- ‌2094

- ‌2095

- ‌2096

- ‌2097

- ‌2098

- ‌2099

- ‌2100

- ‌2101

- ‌2102

- ‌2103

- ‌2104

- ‌2105

- ‌2106

- ‌2107

- ‌2108

- ‌2109

- ‌2110

- ‌2111

- ‌2112

- ‌2113

- ‌2114

- ‌2115

- ‌2116

- ‌2117

- ‌2118

- ‌2119

- ‌2120

- ‌2121

- ‌2122

- ‌2123

- ‌2124

- ‌2125

- ‌2126

- ‌2127

- ‌2128

- ‌2129

- ‌2130

- ‌2131

- ‌2132

- ‌2133

- ‌2134

- ‌2135

- ‌2136

- ‌2137

- ‌2138

- ‌2139

- ‌2140

- ‌2141

- ‌2142

- ‌2143

- ‌2144

- ‌2145

- ‌2146

- ‌2147

- ‌2148

- ‌2149

- ‌2150

- ‌2151

- ‌2152

- ‌2153

- ‌2154

- ‌2155

- ‌2156

- ‌2157

- ‌2158

- ‌2159

- ‌2160

- ‌2161

- ‌2162

- ‌2163

- ‌2164

- ‌2165

- ‌2166

- ‌2167

- ‌2168

- ‌2169

- ‌2170

- ‌2171

- ‌2172

- ‌2173

- ‌2174

- ‌2175

- ‌2176

- ‌2177

- ‌2178

- ‌2179

- ‌2180

- ‌2181

- ‌2182

- ‌2183

- ‌2184

- ‌2185

- ‌2186

- ‌2187

- ‌2188

- ‌2189

- ‌2190

- ‌2191

- ‌2192

- ‌2193

- ‌2194

- ‌2195

- ‌2196

- ‌2197

- ‌2198

- ‌2199

- ‌2200

- ‌2201

- ‌2202

- ‌2203

- ‌2204

- ‌2205

- ‌2206

- ‌2207

- ‌2208

- ‌2209

- ‌2210

- ‌2211

- ‌2212

- ‌2213

- ‌2214

- ‌2215

- ‌2216

- ‌2217

- ‌2218

- ‌2219

- ‌2220

- ‌2221

- ‌2222

- ‌2223

- ‌2224

- ‌2225

- ‌2226

- ‌2227

- ‌2228

- ‌2229

- ‌2230

- ‌2231

- ‌2232

- ‌2233

- ‌2234

- ‌2235

- ‌2236

- ‌2237

- ‌2238

- ‌2239

- ‌2240

- ‌2241

- ‌2242

- ‌2243

- ‌2244

- ‌2245

- ‌2246

- ‌2247

- ‌2248

- ‌2249

- ‌2250

- ‌2251

- ‌2252

- ‌2253

- ‌2254

- ‌2255

- ‌2256

- ‌2257

- ‌2258

- ‌2259

- ‌2260

- ‌2261

- ‌2262

- ‌2263

- ‌2264

- ‌2265

- ‌2266

- ‌2267

- ‌2268

- ‌2269

- ‌2270

- ‌2271

- ‌2272

- ‌2273

- ‌2274

- ‌2275

- ‌2276

- ‌2277

- ‌2278

- ‌2279

- ‌2280

- ‌2281

- ‌2282

- ‌2283

- ‌2284

- ‌2285

- ‌2286

- ‌2287

- ‌2288

- ‌2289

- ‌2290

- ‌2291

- ‌2292

- ‌2293

- ‌2294

- ‌2295

- ‌2296

- ‌2297

- ‌2298

- ‌2299

- ‌2300

- ‌2301

- ‌2302

- ‌2303

- ‌2304

- ‌2305

- ‌2306

- ‌2307

- ‌2308

- ‌2309

- ‌2310

- ‌2311

- ‌2312

- ‌2313

- ‌2314

- ‌2315

- ‌2316

- ‌2317

- ‌2318

- ‌2319

- ‌2320

- ‌2321

- ‌2322

- ‌2323

- ‌2324

- ‌2325

- ‌2326

- ‌2327

- ‌2328

- ‌2329

- ‌2330

- ‌2331

- ‌2332

- ‌2333

- ‌2334

- ‌2335

- ‌2336

- ‌2337

- ‌2338

- ‌2339

- ‌2340

- ‌2341

- ‌2342

- ‌2343

- ‌2344

- ‌2345

- ‌2346

- ‌2347

- ‌2348

- ‌2349

- ‌2350

- ‌2351

- ‌2352

- ‌2353

- ‌2354

- ‌2355

- ‌2356

- ‌2357

- ‌2358

- ‌2359

- ‌2360

- ‌2361

- ‌2362

- ‌2363

- ‌2364

- ‌2365

- ‌2366

- ‌2367

- ‌2368

- ‌2369

- ‌2370

- ‌2371

- ‌2372

- ‌2373

- ‌2374

- ‌2375

- ‌2376

- ‌2377

- ‌2378

- ‌2379

- ‌2380

- ‌2381

- ‌2382

- ‌2383

- ‌2384

- ‌2385

- ‌2386

- ‌2387

- ‌2388

- ‌2389

- ‌2390

- ‌2391

- ‌2392

- ‌2393

- ‌2394

- ‌2395

- ‌2396

- ‌2397

- ‌2398

- ‌2399

- ‌2400

- ‌2401

- ‌2402

- ‌2403

- ‌2404

- ‌2405

- ‌2406

- ‌2407

- ‌2408

- ‌2409

- ‌2410

- ‌2411

- ‌2412

- ‌2413

- ‌2414

- ‌2415

- ‌2416

- ‌2417

- ‌2418

- ‌2419

- ‌2420

- ‌2421

- ‌2422

- ‌2423

- ‌2424

- ‌2425

- ‌2426

- ‌2427

- ‌2428

- ‌2429

- ‌2430

- ‌2431

- ‌2432

- ‌2433

- ‌2434

- ‌2435

- ‌2436

- ‌2437

- ‌2438

- ‌2439

- ‌2440

- ‌2441

- ‌2442

- ‌2443

- ‌2444

- ‌2445

- ‌2446

- ‌2447

- ‌2448

- ‌2449

- ‌2450

- ‌2451

- ‌2452

- ‌2453

- ‌2454

- ‌2455

- ‌2456

- ‌2457

- ‌2458

- ‌2459

- ‌2460

- ‌2461

- ‌2462

- ‌2463

- ‌2464

- ‌2465

- ‌2466

- ‌2467

- ‌2468

- ‌2469

- ‌2470

- ‌2471

- ‌2472

- ‌2473

- ‌2474

- ‌2475

- ‌2476

- ‌2477

- ‌2478

- ‌2479

- ‌2480

- ‌2481

- ‌2482

- ‌2483

- ‌2484

- ‌2485

- ‌2486

- ‌2487

- ‌2488

- ‌2489

- ‌2490

- ‌2491

- ‌2492

- ‌2493

- ‌2494

- ‌2495

- ‌2496

- ‌2497

- ‌2498

- ‌2499

- ‌‌‌2500

- ‌2500

الفصل: عراك إنما رواه عن سليمان عن عراك ". ثم ساق إسناده

عراك إنما رواه عن

سليمان عن عراك ". ثم ساق إسناده عنه به دون الاستثناء. وكذلك أخرجه مسلم (

3 / 76 - 68) ومن طريق خثيم بن عراك عن أبيه مثله دون الزيادة. وكذلك رواه

البخاري. قلت: لكن في رواية لمسلم (3 / 68) والدارقطني (ص 214) عن ابن

وهب: أخبرني مخرمة عن أبيه عن عراك بن مالك به مرفوعا بلفظ: " ليس في العبد

صدقة إلا صدقة الفطر ". فالزيادة محفوظة، والله أعلم.

‌2190

- " ليس في المأمومة قود ".

أخرجه البيهقي (8 / 65) عن أحمد بن عبيد حدثنا عباس بن الفضل الأسفاطي حدثنا

محمد بن عبد الله بن نمير حدثنا يونس بن بكير عن طلحة بن يحيى بن طلحة عن يحيى

وعيسى ابني طلحة، أو أحدهما عن طلحة مرفوعا. قلت: وهذا إسناد حسن،

رجاله ثقات رجال مسلم على خلاف في بعضهم، لولا أن الأسفاطي هذا لم أجد له

ترجمة وقد روى عنه الطبراني أيضا، ولم يذكر ابن الأثير في " اللباب " غير

الطبراني راويا عنه! ثم وجدت الدارقطني يقول في " سؤالات الحاكم له " (ص 129

) : " صدوق ". وأحمد بن عبيد لين الحديث كما في " التقريب ". وله شاهد من

حديث العباس بن عبد المطلب مرفوعا بلفظ:

ص: 221

" لا قود في المأمومة ولا الجائفة

ولا المنقلة ". أخرجه ابن ماجة (2 / 140 - 141) وأبو يعلى (4 / 1580)

وعنه البيهقي عن رشدين بن سعد عن معاوية بن صالح عن معاذ بن محمد الأنصاري عن

ابن أصبهان عنه. قلت: وهذا إسناد ضعيف، ابن أصبهان قال الحافظ: " اسمه

عقبة فيما أظن، فإن كان فروايته منقطعة، وإلا فمجهول ". قلت: جزمه

بالانقطاع فيه نظر، فقد ذكروا له رواية عن عثمان بن عفان، ووفاته سنة خمس

وثلاثين، وكان وفاة العباس سنة اثنتين، وقيل: ثلاث، وقيل: أربع وثلاثين

. والله أعلم. ومعاذ بن محمد الأنصاري روى عنه جمع من الثقات، ووثقه ابن

حبان. وقال الحافظ: " مقبول ". ورشدين بن سعد ضعيف. لكن تابعه ابن لهيعة

عن معاذ به. رواه أبو يعلى. قلت: فالحديث حسن عندي بمجموع الطريقين. والله

أعلم. ثم روى أبو يعلى (4 / 1581) عن عبد الله بن وهب حدثنا ابن لهيعة عن

معاذ بن محمد الأنصاري قال: أخبرني عمرو بن معدي كرب: " أصاب رجلا من بني

كنانة مأمومة، فأراد عمر بن الخطاب أن يقيد منه، فقال له العباس: سمعت رسول

الله صلى الله عليه وسلم: (فذكر) ، فأغرمه العقل ". وعمرو هذا اثنان كما

في " الجرح "(3 / 1 / 260) ولم يذكر فيهما شيئا.

ص: 222