المَكتَبَةُ الشَّامِلَةُ السُّنِّيَّةُ

الرئيسية

أقسام المكتبة

المؤلفين

القرآن

البحث 📚

أُتِيَ النبي صلى الله عليه وسلم برجل، فقالوا: هذا أراد - سلسلة الأحاديث الضعيفة والموضوعة وأثرها السيئ في الأمة - جـ ٩

[ناصر الدين الألباني]

فهرس الكتاب

- ‌المقدمة

- ‌4001

- ‌4002

- ‌4003

- ‌4004

- ‌4005

- ‌4006

- ‌4007

- ‌4008

- ‌4009

- ‌4010

- ‌4011

- ‌4012

- ‌4013

- ‌4014

- ‌4015

- ‌4016

- ‌4017

- ‌4018

- ‌4019

- ‌4020

- ‌4021

- ‌4023

- ‌4024

- ‌4025

- ‌4026

- ‌4027

- ‌4028

- ‌4029

- ‌4030

- ‌4031

- ‌4032

- ‌4033

- ‌4034

- ‌4035

- ‌4036

- ‌4037

- ‌4038

- ‌4039

- ‌4040

- ‌4041

- ‌4042

- ‌4043

- ‌4044

- ‌4045

- ‌4046

- ‌4047

- ‌4048

- ‌4049

- ‌4050

- ‌4051

- ‌4052

- ‌4053

- ‌4054

- ‌4055

- ‌4056

- ‌4057

- ‌4058

- ‌4059

- ‌4060

- ‌4061

- ‌4062

- ‌4063

- ‌4064

- ‌4065

- ‌4066

- ‌4067

- ‌4068

- ‌4069

- ‌4070

- ‌4071

- ‌4072

- ‌4073

- ‌4074

- ‌4075

- ‌4076

- ‌4077

- ‌4078

- ‌4079

- ‌4080

- ‌4081

- ‌4082

- ‌4083

- ‌4084

- ‌4085

- ‌4086

- ‌4087

- ‌4088

- ‌4089

- ‌4090

- ‌4091

- ‌4092

- ‌4093

- ‌4094

- ‌4095

- ‌4096

- ‌4097

- ‌4098

- ‌4099

- ‌4100

- ‌4101

- ‌4102

- ‌4103

- ‌4104

- ‌4105

- ‌4106

- ‌4107

- ‌4108

- ‌4109

- ‌4110

- ‌4111

- ‌4112

- ‌4113

- ‌4114

- ‌4115

- ‌4116

- ‌4117

- ‌4118

- ‌4119

- ‌4120

- ‌4121

- ‌4122

- ‌4123

- ‌4124

- ‌4125

- ‌4126

- ‌4127

- ‌4128

- ‌4129

- ‌4130

- ‌4131

- ‌4132

- ‌4133

- ‌4134

- ‌4135

- ‌4136

- ‌4137

- ‌4138

- ‌4139

- ‌4140

- ‌4141

- ‌4142

- ‌4143

- ‌4144

- ‌4145

- ‌4146

- ‌4147

- ‌4148

- ‌4149

- ‌4150

- ‌4151

- ‌4152

- ‌4153

- ‌4154

- ‌4155

- ‌4156

- ‌4157

- ‌4158

- ‌4159

- ‌4160

- ‌4161

- ‌4162

- ‌4163

- ‌4164

- ‌4165

- ‌4166

- ‌4167

- ‌4168

- ‌4169

- ‌4170

- ‌4171

- ‌4172

- ‌4173

- ‌4174

- ‌4175

- ‌4176

- ‌4177

- ‌4178

- ‌4179

- ‌4180

- ‌4181

- ‌4182

- ‌4183

- ‌4184

- ‌4185

- ‌4186

- ‌4187

- ‌4188

- ‌4189

- ‌4190

- ‌4191

- ‌4192

- ‌4193

- ‌4194

- ‌4195

- ‌4196

- ‌4197

- ‌4198

- ‌4199

- ‌4200

- ‌4201

- ‌4202

- ‌4203

- ‌4204

- ‌4205

- ‌4206

- ‌4207

- ‌4208

- ‌4209

- ‌4210

- ‌4211

- ‌4212

- ‌4213

- ‌4214

- ‌4215

- ‌4216

- ‌4217

- ‌4218

- ‌4219

- ‌4220

- ‌4221

- ‌4222

- ‌4223

- ‌4224

- ‌4225

- ‌4226

- ‌4227

- ‌4228

- ‌4229

- ‌4230

- ‌4231

- ‌4232

- ‌4233

- ‌4234

- ‌4235

- ‌4236

- ‌4237

- ‌4238

- ‌4239

- ‌4240

- ‌4241

- ‌4242

- ‌4243

- ‌4244

- ‌4245

- ‌4246

- ‌4247

- ‌4248

- ‌4249

- ‌4250

- ‌4251

- ‌4252

- ‌4253

- ‌4254

- ‌4255

- ‌4256

- ‌4257

- ‌4258

- ‌4259

- ‌4260

- ‌4261

- ‌4262

- ‌4263

- ‌4264

- ‌4265

- ‌4266

- ‌4267

- ‌4268

- ‌4269

- ‌4270

- ‌4271

- ‌4272

- ‌4273

- ‌4274

- ‌4275

- ‌4276

- ‌4277

- ‌4278

- ‌4279

- ‌4280

- ‌4281

- ‌4282

- ‌4283

- ‌4284

- ‌4285

- ‌4286

- ‌4287

- ‌4288

- ‌4289

- ‌4290

- ‌4291

- ‌4292

- ‌4293

- ‌4294

- ‌4295

- ‌4296

- ‌4297

- ‌4298

- ‌4299

- ‌4300

- ‌4301

- ‌4302

- ‌4303

- ‌4304

- ‌4305

- ‌4306

- ‌4307

- ‌4308

- ‌4309

- ‌4310

- ‌4311

- ‌4312

- ‌4313

- ‌4314

- ‌4315

- ‌4316

- ‌4317

- ‌4318

- ‌4319

- ‌4320

- ‌4321

- ‌4322

- ‌4323

- ‌4324

- ‌4325

- ‌4326

- ‌4327

- ‌4328

- ‌4329

- ‌4330

- ‌4331

- ‌4332

- ‌4333

- ‌4334

- ‌4335

- ‌4336

- ‌4337

- ‌4338

- ‌4339

- ‌4340

- ‌4341

- ‌4342

- ‌4343

- ‌4344

- ‌4345

- ‌4346

- ‌4347

- ‌4348

- ‌4349

- ‌4350

- ‌4350/ م

- ‌4351

- ‌4352

- ‌4353

- ‌4354

- ‌4355

- ‌4356

- ‌4357

- ‌4358

- ‌4359

- ‌4360

- ‌4361

- ‌4362

- ‌4363

- ‌4364

- ‌4365

- ‌4366

- ‌4367

- ‌4368

- ‌4369

- ‌4370

- ‌4371

- ‌4372

- ‌4373

- ‌4374

- ‌4375

- ‌4376

- ‌4377

- ‌4378

- ‌4379

- ‌4380

- ‌4381

- ‌4382

- ‌4383

- ‌4384

- ‌4385

- ‌4386

- ‌4387

- ‌4388

- ‌4389

- ‌4390

- ‌4391

- ‌4392

- ‌4393

- ‌4394

- ‌4394/ م

- ‌4395

- ‌4396

- ‌4397

- ‌4398

- ‌4399

- ‌4400

- ‌4401

- ‌4402

- ‌4403

- ‌4404

- ‌4405

- ‌4406

- ‌4407

- ‌4408

- ‌4409

- ‌4410

- ‌4411

- ‌4412

- ‌4413

- ‌4414

- ‌4415

- ‌4416

- ‌4417

- ‌4418

- ‌4419

- ‌4420

- ‌4421

- ‌4422

- ‌4423

- ‌4424

- ‌4425

- ‌4426

- ‌4427

- ‌4428

- ‌4429

- ‌4430

- ‌4431

- ‌4432

- ‌4433

- ‌4434

- ‌4435

- ‌4436

- ‌4437

- ‌4438

- ‌4439

- ‌4440

- ‌4441

- ‌4442

- ‌4443

- ‌4444

- ‌4445

- ‌4446

- ‌4447

- ‌4448

- ‌4449

- ‌4450

- ‌4451

- ‌4452

- ‌4453

- ‌4454

- ‌4455

- ‌4456

- ‌4457

- ‌4458

- ‌4459

- ‌4460

- ‌4461

- ‌4462

- ‌4463

- ‌4464

- ‌4465

- ‌4466

- ‌4467

- ‌4468

- ‌4469

- ‌4470

- ‌4471

- ‌4472

- ‌4473

- ‌4474

- ‌4475

- ‌4476

- ‌4477

- ‌4478

- ‌4479

- ‌4480

- ‌4481

- ‌4482

- ‌4483

- ‌4484

- ‌4485

- ‌4486

- ‌4487

- ‌4488

- ‌4489

- ‌4490

- ‌4491

- ‌4492

- ‌4493

- ‌4494

- ‌4495

- ‌4496

- ‌4497

- ‌4498

- ‌4499

- ‌4500

الفصل: أُتِيَ النبي صلى الله عليه وسلم برجل، فقالوا: هذا أراد

أُتِيَ النبي صلى الله عليه وسلم برجل، فقالوا: هذا أراد أن يقتلك، فقال له النبي صلى الله عليه وسلم: فذكره.

قلت: وهذا إسناد ضعيف؛ أبو إسرائيل هذا؛ لم يرو عنه غير شعبة. ولا وثقه أحد غير ابن حبان، ولذلك لم يوثقه الحافظ، بل قال:

"مقبول". يعني عند المتابعة، وإلا فلين الحديث، ولم أجد له متابعاً، فهو على اللين.

ومن طريقه أخرجه النسائي في "عمل اليوم والليلة"، كما في "تحفة الأشراف"(3/ 436) .

‌4336

- (لم يزل أمر بني إسرائيل معتدلاً حتى نشأ فيهم المولدون، أبناء سبايا الأمم، فقالوا بالرأي، فضلوا وأضلوا) .

ضعيف

أخرجه ابن ماجه (56) : حدثنا سويد بن سعيد: حدثنا ابن أبي الرجال، عن عبد الرحمن بن عمرو الأوزاعي، عن عبد ة بن أبي لبابة، عن عبد الله بن عمرو بن العاص قال: فذكره مرفوعاً.

قلت: وهذا إسناد ضعيف؛ كما قال البوصيري، وعلته الانقطاع؛ فإن عبد ة ابن أبي لبابة لم يلحق ابن عمرو، كما قال المزي في "تحفة الأشراف"(6/ 360) .

وسويد هذا؛ قال الحافظ:

"صدوق في نفسه؛ إلا أنه عمي فصار يتلقن ما ليس من حديثه، وأفحش فيه ابن معين القول".

ص: 320

وشيخه ابن أبي الرجال - اسمه عبد الرحمن -؛ وهو صدوق، وتوهم بعض الطلبة - تقليداً منه للبوصيري - أنه أخو حارثة الضعيف!

ورواه قيس بن الربيع، عن هشام بن عروة، عن أبيه، عن عبد الله بن عمرو به.

أخرجه البزار (ص 28 - زوائده، 1/ 96/ 166 - كشف الأستار) وقال:

"لا نعلم أحداً قال عن هشام عن أبيه عن عبد الله بن عمرو؛ إلا قيس، ورواه غيره مرسلاً".

قلت: قيس بن الربيع؛ ضعيف لسوء حفظه، والمحفوظ كما نقل الحافظ (13/ 285) عن البزار عن هشام بن عروة بهذا الإسناد مرفوعاً، إنما هو بلفظ:

"إن الله لا يقبض العلم انتزاعاً ينتزعه من الناس، ولكن يقبض العلم بقبض العلماء، حتى إذا لم يترك عالماً اتخذ الناس رؤوساً جهالاً، فسئلوا فأفتوا بغير علم، فضلوا وأضلوا".

أخرجه الشيخان وغيرهما، وقد خرجته في "الروض النضير"(579) .

والحديث رواه الدارمي (1/ 50) ، والبيهقي في "معرفة السنن"(ص 41 - هند، 1/ 109 - العلمية) مقطوعاً، وكذلك ابن عبد البر في "جامع البيان العلم وفضله"(2/ 136) من قول عروة.

لكن رواه يعقوب الفسوي في "المعرفة والتاريخ"(3/ 20) بسند صحيح عنه مرفوعاً. فهو مرسل صحيح.

وعزاه الحافظ للحميدي في "النوادر"، والبيهقي في "المدخل" عنه.

قلت: وكذا الخطيب في "التاريخ"(13/ 413) . وزاد: "قال سفيان (هو ابن عيينة) : لم يزل أمر الناس معتدلاً حتى غير ذلك أبو حنيفة بالكوفة، وعثمان

ص: 321