المَكتَبَةُ الشَّامِلَةُ السُّنِّيَّةُ

الرئيسية

أقسام المكتبة

المؤلفين

القرآن

البحث 📚

" الفتح " (4 / 123) بعد أن ذكر هذا - سلسلة الأحاديث الصحيحة وشيء من فقهها وفوائدها - جـ ١

[ناصر الدين الألباني]

فهرس الكتاب

- ‌‌‌1

- ‌1

- ‌2

- ‌3)

- ‌4

- ‌5

- ‌6

- ‌7

- ‌8)

- ‌9

- ‌10

- ‌11

- ‌12

- ‌13

- ‌14

- ‌15

- ‌16

- ‌17

- ‌18

- ‌20

- ‌19

- ‌21

- ‌22

- ‌23

- ‌24

- ‌25

- ‌26

- ‌27

- ‌28

- ‌29

- ‌30

- ‌31

- ‌32

- ‌33

- ‌34

- ‌35

- ‌36

- ‌37

- ‌38

- ‌39

- ‌40

- ‌41

- ‌42

- ‌43

- ‌44

- ‌45

- ‌46

- ‌47

- ‌ 48)

- ‌49

- ‌50

- ‌51

- ‌52

- ‌53

- ‌54

- ‌55

- ‌56

- ‌57

- ‌58

- ‌59

- ‌60

- ‌61

- ‌62

- ‌63

- ‌64

- ‌65

- ‌66

- ‌67

- ‌68

- ‌69

- ‌70

- ‌71

- ‌72

- ‌73

- ‌74

- ‌75

- ‌76

- ‌77

- ‌78

- ‌79

- ‌ 80) :

- ‌81

- ‌82

- ‌83

- ‌84

- ‌85

- ‌86

- ‌87

- ‌88

- ‌89

- ‌90

- ‌91

- ‌92

- ‌93

- ‌94

- ‌95

- ‌96

- ‌97

- ‌98

- ‌99

- ‌100

- ‌101

- ‌102

- ‌103

- ‌104

- ‌105

- ‌106

- ‌107

- ‌108

- ‌109

- ‌110

- ‌111

- ‌112

- ‌113

- ‌114

- ‌115

- ‌116

- ‌117

- ‌118

- ‌119

- ‌120

- ‌121

- ‌122

- ‌123

- ‌124

- ‌125

- ‌126

- ‌127

- ‌128

- ‌129

- ‌130

- ‌131

- ‌132

- ‌133

- ‌134

- ‌135

- ‌136

- ‌137

- ‌138

- ‌139

- ‌140

- ‌141

- ‌142

- ‌143

- ‌144

- ‌145

- ‌146

- ‌147

- ‌148

- ‌149

- ‌150

- ‌151

- ‌152

- ‌153

- ‌154

- ‌155

- ‌156

- ‌157

- ‌158

- ‌159

- ‌160

- ‌161

- ‌162

- ‌163

- ‌164

- ‌165

- ‌166

- ‌167

- ‌168

- ‌169

- ‌170

- ‌171

- ‌172

- ‌173

- ‌174

- ‌175

- ‌176

- ‌177

- ‌178

- ‌179

- ‌180

- ‌181

- ‌182

- ‌183

- ‌184

- ‌185

- ‌186

- ‌187

- ‌188

- ‌189

- ‌190

- ‌191

- ‌192

- ‌193

- ‌194

- ‌195

- ‌196

- ‌ 197)

- ‌198

- ‌199

- ‌200

- ‌201

- ‌202

- ‌203

- ‌204

- ‌205

- ‌206

- ‌207

- ‌208

- ‌209

- ‌210

- ‌211

- ‌212

- ‌213

- ‌214

- ‌215

- ‌216

- ‌217

- ‌218

- ‌219

- ‌220

- ‌221

- ‌222

- ‌223

- ‌224

- ‌225

- ‌226

- ‌227

- ‌228

- ‌229

- ‌230

- ‌231

- ‌232

- ‌233

- ‌234

- ‌235

- ‌236

- ‌237

- ‌238

- ‌239

- ‌240

- ‌241

- ‌242

- ‌243

- ‌244

- ‌245

- ‌246

- ‌247

- ‌248

- ‌249

- ‌250

- ‌251

- ‌252

- ‌253

- ‌254

- ‌255

- ‌256

- ‌257

- ‌258

- ‌259

- ‌260

- ‌261

- ‌262

- ‌263

- ‌264

- ‌265

- ‌266

- ‌267

- ‌268

- ‌269

- ‌270

- ‌271

- ‌272

- ‌273

- ‌274

- ‌275

- ‌276

- ‌277

- ‌278

- ‌279

- ‌280

- ‌281

- ‌282

- ‌283

- ‌284

- ‌285

- ‌286

- ‌287

- ‌288

- ‌289

- ‌290

- ‌291

- ‌292

- ‌293

- ‌294

- ‌295

- ‌296

- ‌297

- ‌298

- ‌299

- ‌300

- ‌301

- ‌302

- ‌303

- ‌304

- ‌305

- ‌306

- ‌307

- ‌308

- ‌309

- ‌310

- ‌311

- ‌312

- ‌313

- ‌314

- ‌315

- ‌316

- ‌317

- ‌318

- ‌319

- ‌320

- ‌321

- ‌322

- ‌323

- ‌324

- ‌325

- ‌326

- ‌327

- ‌328

- ‌329

- ‌330

- ‌331

- ‌332

- ‌333

- ‌334

- ‌335

- ‌336

- ‌337

- ‌338

- ‌339

- ‌340

- ‌341

- ‌342

- ‌343

- ‌344

- ‌345

- ‌346

- ‌347

- ‌348

- ‌349

- ‌350

- ‌351

- ‌352

- ‌353

- ‌354

- ‌355

- ‌356

- ‌357

- ‌358

- ‌359

- ‌360

- ‌361

- ‌362

- ‌363

- ‌364

- ‌365

- ‌366

- ‌367

- ‌368

- ‌369

- ‌370

- ‌371

- ‌372

- ‌373

- ‌374

- ‌375

- ‌376

- ‌377

- ‌378

- ‌379

- ‌380

- ‌381

- ‌382

- ‌383

- ‌384

- ‌385

- ‌386

- ‌387

- ‌388

- ‌389

- ‌390

- ‌391

- ‌392

- ‌393

- ‌394

- ‌395

- ‌396

- ‌397

- ‌398

- ‌399

- ‌400

- ‌401

- ‌402

- ‌403

- ‌404

- ‌405

- ‌406

- ‌407

- ‌408

- ‌409

- ‌410

- ‌411

- ‌412

- ‌413

- ‌414

- ‌415

- ‌416

- ‌417

- ‌418

- ‌419

- ‌420

- ‌421

- ‌422

- ‌423

- ‌424

- ‌425

- ‌426

- ‌427

- ‌428

- ‌429

- ‌430

- ‌431

- ‌432

- ‌433

- ‌434

- ‌435

- ‌436

- ‌437

- ‌438

- ‌439

- ‌440

- ‌441

- ‌442

- ‌443

- ‌444

- ‌445

- ‌446

- ‌447

- ‌448

- ‌449

- ‌450

- ‌451

- ‌452

- ‌453

- ‌454

- ‌455

- ‌456

- ‌457

- ‌458

- ‌459

- ‌460

- ‌461

- ‌462

- ‌463

- ‌464

- ‌465

- ‌466

- ‌467

- ‌468

- ‌469

- ‌470

- ‌471

- ‌472

- ‌473

- ‌474

- ‌475

- ‌476

- ‌477

- ‌478

- ‌479

- ‌480

- ‌481

- ‌482

- ‌483

- ‌484

- ‌485

- ‌486

- ‌487

- ‌488

- ‌489

- ‌490

- ‌491

- ‌492

- ‌493

- ‌494

- ‌495

- ‌496

- ‌497

- ‌498

- ‌499

- ‌‌‌500

- ‌500

الفصل: " الفتح " (4 / 123) بعد أن ذكر هذا

" الفتح "(4 / 123) بعد أن ذكر هذا الحديث من طريق النسائي: ".. فقال:

وأنا صائم، فقبلني ":

" وهذا يؤيد ما قدمناه أن النظر في ذلك لمن لا يتأثر بالمباشرة والتقبيل لا

للتفرقة بين الشاب والشيخ، لأن عائشة كانت شابة، نعم لما كان الشاب مظنة

لهيجان الشهوة فرق من فرق ".

‌220

- " كان يقبل وهو صائم، ويباشر وهو صائم، وكان أملككم لإربه ".

أخرجه البخاري (4 / 120 - 121 فتح) ومسلم (3 / 135) والشافعي في " سننه "

(1 / 261) وأبو داود (2 / 284 - عون) والترمذي (2 / 48 - تحفة) وابن

ماجه (1 / 516 و 517) والطحاوي (1 / 345) والبيهقي (4 / 230) وأحمد

(6 / 42 - 126) من طرق عن عائشة به.

وقال الترمذي: " حديث حسن صحيح ".

وفي الحديث فائدة أخرى على الحديث الذي قبله، وهي جواز المباشرة من

ص: 433