المَكتَبَةُ الشَّامِلَةُ السُّنِّيَّةُ

الرئيسية

أقسام المكتبة

المؤلفين

القرآن

البحث 📚

‌ ‌4746 - (وأي وضوء أفضل من الغسل؟!) . ضعيف مرفوعاً أخرجه الطبراني - سلسلة الأحاديث الضعيفة والموضوعة وأثرها السيئ في الأمة - جـ ١٠

[ناصر الدين الألباني]

فهرس الكتاب

- ‌المقدمة

- ‌4501

- ‌4502

- ‌4503

- ‌4504

- ‌4505

- ‌4506

- ‌4507

- ‌4508

- ‌4509

- ‌4510

- ‌4511

- ‌4512

- ‌4513

- ‌4514

- ‌4515

- ‌4516

- ‌4517

- ‌4518

- ‌4519

- ‌4520

- ‌4521

- ‌4522

- ‌4523

- ‌4524

- ‌4525

- ‌4526

- ‌4527

- ‌4528

- ‌4529

- ‌4530

- ‌4531

- ‌4532

- ‌4533

- ‌4534

- ‌4536

- ‌4537

- ‌4538

- ‌4539

- ‌4540

- ‌4541

- ‌4542

- ‌4543

- ‌4544

- ‌4545

- ‌4546

- ‌4547

- ‌4548

- ‌4549

- ‌4550

- ‌4551

- ‌4552

- ‌4553

- ‌4554

- ‌4555

- ‌4556

- ‌4557

- ‌4558

- ‌4559

- ‌4560

- ‌4561

- ‌4562

- ‌4563

- ‌4564

- ‌4565

- ‌4566

- ‌4567

- ‌4568

- ‌4569

- ‌4570

- ‌4571

- ‌4572

- ‌4573

- ‌4574

- ‌4575

- ‌4576

- ‌4577

- ‌4578

- ‌4579

- ‌4580

- ‌4581

- ‌4582

- ‌4583

- ‌4584

- ‌4585

- ‌4586

- ‌4587

- ‌4588

- ‌4589

- ‌4590

- ‌4591

- ‌4592

- ‌4593

- ‌4594

- ‌4595

- ‌4596

- ‌4597

- ‌4598

- ‌4599

- ‌4600

- ‌4601

- ‌4602

- ‌4603

- ‌4604

- ‌4605

- ‌4606

- ‌4607

- ‌4608

- ‌4609

- ‌4610

- ‌4611

- ‌4612

- ‌4613

- ‌4613 / م

- ‌4614

- ‌4615

- ‌4616

- ‌4617

- ‌4618

- ‌4619

- ‌4620

- ‌4621

- ‌4622

- ‌4623

- ‌4624

- ‌4625

- ‌4626

- ‌4627

- ‌4628

- ‌4629

- ‌4630

- ‌4631

- ‌4632

- ‌4633

- ‌4634

- ‌4635

- ‌4636

- ‌4637

- ‌4638

- ‌4639

- ‌4640

- ‌4641

- ‌4642

- ‌4643

- ‌4644

- ‌4645

- ‌4646

- ‌4647

- ‌4648

- ‌4649

- ‌4650

- ‌4651

- ‌4652

- ‌4653

- ‌4654

- ‌4655

- ‌4656

- ‌4657

- ‌4658

- ‌4659

- ‌4660

- ‌4661

- ‌4662

- ‌4663

- ‌4664

- ‌4665

- ‌4666

- ‌4668

- ‌4669

- ‌4670

- ‌4671

- ‌4672

- ‌4673

- ‌4674

- ‌4675

- ‌4676

- ‌4677

- ‌4678

- ‌4679

- ‌4680

- ‌4681

- ‌4682

- ‌4683

- ‌4684

- ‌4685

- ‌4686

- ‌4687

- ‌4688

- ‌4689

- ‌4690

- ‌4691

- ‌4692

- ‌4693

- ‌4694

- ‌4695

- ‌4696

- ‌4697

- ‌4698

- ‌4699

- ‌4700

- ‌4701

- ‌4702

- ‌4703

- ‌4704

- ‌4705

- ‌4706

- ‌4707

- ‌4708

- ‌4709

- ‌4710

- ‌4711

- ‌4712

- ‌4713

- ‌4714

- ‌4715

- ‌4716

- ‌4717

- ‌4718

- ‌4719

- ‌4720

- ‌4721

- ‌4722

- ‌4723

- ‌4724

- ‌4725

- ‌4726

- ‌4727

- ‌4728

- ‌4729

- ‌4730

- ‌4731

- ‌4732

- ‌4733

- ‌4734

- ‌4735

- ‌4736

- ‌4737

- ‌4738

- ‌4739

- ‌4740

- ‌4741

- ‌4742

- ‌4743

- ‌4744

- ‌4745

- ‌4746

- ‌4747

- ‌4748

- ‌4749

- ‌4750

- ‌4751

- ‌4752

- ‌4753

- ‌4754

- ‌4755

- ‌4756

- ‌4757

- ‌4758

- ‌4759

- ‌4760

- ‌4761

- ‌4762

- ‌4763

- ‌4764

- ‌4765

- ‌4766

- ‌4767

- ‌4768

- ‌4769

- ‌4770

- ‌4771

- ‌4772

- ‌4773

- ‌4774

- ‌4775

- ‌4776

- ‌4777

- ‌4778

- ‌4779

- ‌4780

- ‌4781

- ‌4782

- ‌4783

- ‌4784

- ‌4785

- ‌4786

- ‌4787

- ‌4788

- ‌4789

- ‌4790

- ‌4791

- ‌4792

- ‌4793

- ‌4794

- ‌4795

- ‌4796

- ‌4797

- ‌4798

- ‌4799

- ‌4800

- ‌4801

- ‌4802

- ‌4803

- ‌4804

- ‌4805

- ‌4806

- ‌4807

- ‌4808

- ‌4809

- ‌4810

- ‌4811

- ‌4812

- ‌4813

- ‌4814

- ‌4815

- ‌4816

- ‌4817

- ‌4818

- ‌4819

- ‌4820

- ‌4821

- ‌4822

- ‌4823

- ‌4824

- ‌4825

- ‌4826

- ‌4827

- ‌4828

- ‌4829

- ‌4830

- ‌4831

- ‌4833

- ‌4834

- ‌4835/ م

- ‌4836

- ‌4837

- ‌4839

- ‌4840

- ‌4841

- ‌4842

- ‌4843

- ‌4844

- ‌4845

- ‌4846

- ‌4847

- ‌4848

- ‌4849

- ‌4850

- ‌4851

- ‌4852

- ‌4853

- ‌4854

- ‌4855

- ‌4856

- ‌4857

- ‌4858

- ‌4859

- ‌4860

- ‌4861

- ‌4862

- ‌4863

- ‌4864

- ‌4865

- ‌4866

- ‌4867

- ‌4868

- ‌4869

- ‌4870

- ‌4871

- ‌4872

- ‌4873

- ‌4874

- ‌4875

- ‌4876

- ‌4877

- ‌4878

- ‌4879

- ‌4880

- ‌4881

- ‌4882

- ‌4883

- ‌4884

- ‌4885

- ‌4886

- ‌4887

- ‌4888

- ‌4889

- ‌4890

- ‌4891

- ‌4892

- ‌4893

- ‌4894

- ‌4895

- ‌4896

- ‌4897

- ‌4898

- ‌4899

- ‌4900

- ‌4901

- ‌4902

- ‌4903

- ‌4904

- ‌4905

- ‌4906

- ‌4907

- ‌4908

- ‌4909

- ‌4910

- ‌4911

- ‌4912

- ‌4913

- ‌4914

- ‌4915

- ‌4916

- ‌4917

- ‌4918

- ‌4919

- ‌4920

- ‌4921

- ‌4922

- ‌4923

- ‌4924

- ‌4925

- ‌4926

- ‌4927

- ‌4928

- ‌4929

- ‌4930

- ‌4931

- ‌4932

- ‌4933

- ‌4934

- ‌4935

- ‌4936

- ‌4937

- ‌4938

- ‌4939

- ‌4940

- ‌4941

- ‌4942

- ‌4943

- ‌4944

- ‌4945

- ‌4946

- ‌4947

- ‌4948

- ‌4949

- ‌4950

- ‌4951

- ‌4952

- ‌4953

- ‌4954

- ‌4955

- ‌4956

- ‌4957

- ‌4958

- ‌4959

- ‌4960

- ‌4961

- ‌4962

- ‌4963

- ‌4964

- ‌4965

- ‌4966

- ‌4967

- ‌4968

- ‌4969

- ‌4970

- ‌4971

- ‌4972

- ‌4973

- ‌4974

- ‌4975

- ‌4976

- ‌4977

- ‌4978

- ‌4979

- ‌4980

- ‌4981

- ‌4982

- ‌4983

- ‌4984

- ‌4985

- ‌4986

- ‌4987

- ‌4988

- ‌4989

- ‌4990

- ‌4991

- ‌4992

- ‌4993

- ‌4994

- ‌4995

- ‌4996

- ‌4997

- ‌4998

- ‌4999

- ‌5000

الفصل: ‌ ‌4746 - (وأي وضوء أفضل من الغسل؟!) . ضعيف مرفوعاً أخرجه الطبراني

‌4746

- (وأي وضوء أفضل من الغسل؟!) .

ضعيف مرفوعاً

أخرجه الطبراني (3/ 199/ 2)، والحاكم (1/ 153-154) عن محمد بن عبد الله بن بزيع: حدثنا عبد الأعلى: حدثنا عبيد الله (1) بن عمر عن نافع عن ابن عمر:

أن النبي صلى الله عليه وسلم سئل عن الوضوء بعد الغسل؟ فقال

فذكره. وقال الحاكم:

"محمد بن عبد الله بن بزيع ثقة، وقد أوقفه غيره"!

قال الذهبي عقبه:

"قلت: وهو الصواب".

قلت: لم أقف على من تابعه في روايته عن عبد الأعلى

ولو موقوفاً، حتى أتمكن من الترجيح في هذه الطريق.

وأما من غيرها؛ فقد وجدته موقوفاً من طريق سفيان بن عيينة عن الزهري عن سالم بن عبد الله بن عمر عن أبيه أنه كان يقول:

وأي وضوء أتم من الغسل إذا اجتنب الفرج؟!

أخرجه البيهقي (1/ 178) .

قلت: وإسناده صحيح.

(1) كذا في نسخة " المستدرك "، وفي رواية أخرى:" عبد الله " مكبّراً، وهي التي اعتمدها المحقق، مع أن النسخة الأولى مطابقة لما في " تلخيص المستدرك "، والأخرى موافقة لما في " مصنف عبد الرزاق " كما يأتي.

ص: 291

وأخرجه عبد الرزاق في "المصنف"(1038) : أخبرنا معمر عن الزهري عن سالم قال:

كان أبي يغتسل ثم يتوضأ؛ فأقول: أما يجزيك الغسل؟! وأي وضوء أتم من الغسل؟! قال: وأي وضوء أتم من الغسل للجنب؟ ولكنه يخيل إلي أنه يخرج من ذكري الشيء، فأمسه، فأتوضأ لذلك.

ورأيته عنده من الطريق الأولى موقوفاً أيضاً، فقال عبد الرزاق (1039) : عن ابن جريج قال: أخبرني نافع عن ابن عمر كان يقول:

"إذا لم تمس فرجك بعد أن تقضي غسلك؛ فأي وضوء أسبغ من الغسل؟!

قلت: وعبد الله بن عمر - وهو العمري - المكبر ضعيف.

وأما عبيد الله بن عمر المصغر؛ فهو ثقة، وقد اختلفت نسخ "المستدرك" فيه، فوقع في بعضها مصغراً، وفي بعضها مكبراً، ولعل هذا هو الأرجح؛ لمطابقته لرواية "المصنف". وهذا مما يوهن في صحته مرفوعاً، ويؤكد ذلك رواية ابن جريج عن نافع موقوفاً.

وكذلك رواه غنيم بن قيس عن ابن عمر:

سئل عن الوضوء بعد الغسل؟ فقال: وأي وضوء أعم من الغسل؟!

أخرجه ابن أبي شيبة في "المصنف"(1/ 68) .

قلت: وإسناده صحيح على شرط مسلم.

ص: 292