المَكتَبَةُ الشَّامِلَةُ السُّنِّيَّةُ

الرئيسية

أقسام المكتبة

المؤلفين

القرآن

البحث 📚

"كن له طهوراً"؛ بلفظ: "الاستطابة (وفي رواية: الاستنجاء) بثلاثة أحجار ليس - سلسلة الأحاديث الضعيفة والموضوعة وأثرها السيئ في الأمة - جـ ١٠

[ناصر الدين الألباني]

فهرس الكتاب

- ‌المقدمة

- ‌4501

- ‌4502

- ‌4503

- ‌4504

- ‌4505

- ‌4506

- ‌4507

- ‌4508

- ‌4509

- ‌4510

- ‌4511

- ‌4512

- ‌4513

- ‌4514

- ‌4515

- ‌4516

- ‌4517

- ‌4518

- ‌4519

- ‌4520

- ‌4521

- ‌4522

- ‌4523

- ‌4524

- ‌4525

- ‌4526

- ‌4527

- ‌4528

- ‌4529

- ‌4530

- ‌4531

- ‌4532

- ‌4533

- ‌4534

- ‌4536

- ‌4537

- ‌4538

- ‌4539

- ‌4540

- ‌4541

- ‌4542

- ‌4543

- ‌4544

- ‌4545

- ‌4546

- ‌4547

- ‌4548

- ‌4549

- ‌4550

- ‌4551

- ‌4552

- ‌4553

- ‌4554

- ‌4555

- ‌4556

- ‌4557

- ‌4558

- ‌4559

- ‌4560

- ‌4561

- ‌4562

- ‌4563

- ‌4564

- ‌4565

- ‌4566

- ‌4567

- ‌4568

- ‌4569

- ‌4570

- ‌4571

- ‌4572

- ‌4573

- ‌4574

- ‌4575

- ‌4576

- ‌4577

- ‌4578

- ‌4579

- ‌4580

- ‌4581

- ‌4582

- ‌4583

- ‌4584

- ‌4585

- ‌4586

- ‌4587

- ‌4588

- ‌4589

- ‌4590

- ‌4591

- ‌4592

- ‌4593

- ‌4594

- ‌4595

- ‌4596

- ‌4597

- ‌4598

- ‌4599

- ‌4600

- ‌4601

- ‌4602

- ‌4603

- ‌4604

- ‌4605

- ‌4606

- ‌4607

- ‌4608

- ‌4609

- ‌4610

- ‌4611

- ‌4612

- ‌4613

- ‌4613 / م

- ‌4614

- ‌4615

- ‌4616

- ‌4617

- ‌4618

- ‌4619

- ‌4620

- ‌4621

- ‌4622

- ‌4623

- ‌4624

- ‌4625

- ‌4626

- ‌4627

- ‌4628

- ‌4629

- ‌4630

- ‌4631

- ‌4632

- ‌4633

- ‌4634

- ‌4635

- ‌4636

- ‌4637

- ‌4638

- ‌4639

- ‌4640

- ‌4641

- ‌4642

- ‌4643

- ‌4644

- ‌4645

- ‌4646

- ‌4647

- ‌4648

- ‌4649

- ‌4650

- ‌4651

- ‌4652

- ‌4653

- ‌4654

- ‌4655

- ‌4656

- ‌4657

- ‌4658

- ‌4659

- ‌4660

- ‌4661

- ‌4662

- ‌4663

- ‌4664

- ‌4665

- ‌4666

- ‌4668

- ‌4669

- ‌4670

- ‌4671

- ‌4672

- ‌4673

- ‌4674

- ‌4675

- ‌4676

- ‌4677

- ‌4678

- ‌4679

- ‌4680

- ‌4681

- ‌4682

- ‌4683

- ‌4684

- ‌4685

- ‌4686

- ‌4687

- ‌4688

- ‌4689

- ‌4690

- ‌4691

- ‌4692

- ‌4693

- ‌4694

- ‌4695

- ‌4696

- ‌4697

- ‌4698

- ‌4699

- ‌4700

- ‌4701

- ‌4702

- ‌4703

- ‌4704

- ‌4705

- ‌4706

- ‌4707

- ‌4708

- ‌4709

- ‌4710

- ‌4711

- ‌4712

- ‌4713

- ‌4714

- ‌4715

- ‌4716

- ‌4717

- ‌4718

- ‌4719

- ‌4720

- ‌4721

- ‌4722

- ‌4723

- ‌4724

- ‌4725

- ‌4726

- ‌4727

- ‌4728

- ‌4729

- ‌4730

- ‌4731

- ‌4732

- ‌4733

- ‌4734

- ‌4735

- ‌4736

- ‌4737

- ‌4738

- ‌4739

- ‌4740

- ‌4741

- ‌4742

- ‌4743

- ‌4744

- ‌4745

- ‌4746

- ‌4747

- ‌4748

- ‌4749

- ‌4750

- ‌4751

- ‌4752

- ‌4753

- ‌4754

- ‌4755

- ‌4756

- ‌4757

- ‌4758

- ‌4759

- ‌4760

- ‌4761

- ‌4762

- ‌4763

- ‌4764

- ‌4765

- ‌4766

- ‌4767

- ‌4768

- ‌4769

- ‌4770

- ‌4771

- ‌4772

- ‌4773

- ‌4774

- ‌4775

- ‌4776

- ‌4777

- ‌4778

- ‌4779

- ‌4780

- ‌4781

- ‌4782

- ‌4783

- ‌4784

- ‌4785

- ‌4786

- ‌4787

- ‌4788

- ‌4789

- ‌4790

- ‌4791

- ‌4792

- ‌4793

- ‌4794

- ‌4795

- ‌4796

- ‌4797

- ‌4798

- ‌4799

- ‌4800

- ‌4801

- ‌4802

- ‌4803

- ‌4804

- ‌4805

- ‌4806

- ‌4807

- ‌4808

- ‌4809

- ‌4810

- ‌4811

- ‌4812

- ‌4813

- ‌4814

- ‌4815

- ‌4816

- ‌4817

- ‌4818

- ‌4819

- ‌4820

- ‌4821

- ‌4822

- ‌4823

- ‌4824

- ‌4825

- ‌4826

- ‌4827

- ‌4828

- ‌4829

- ‌4830

- ‌4831

- ‌4833

- ‌4834

- ‌4835/ م

- ‌4836

- ‌4837

- ‌4839

- ‌4840

- ‌4841

- ‌4842

- ‌4843

- ‌4844

- ‌4845

- ‌4846

- ‌4847

- ‌4848

- ‌4849

- ‌4850

- ‌4851

- ‌4852

- ‌4853

- ‌4854

- ‌4855

- ‌4856

- ‌4857

- ‌4858

- ‌4859

- ‌4860

- ‌4861

- ‌4862

- ‌4863

- ‌4864

- ‌4865

- ‌4866

- ‌4867

- ‌4868

- ‌4869

- ‌4870

- ‌4871

- ‌4872

- ‌4873

- ‌4874

- ‌4875

- ‌4876

- ‌4877

- ‌4878

- ‌4879

- ‌4880

- ‌4881

- ‌4882

- ‌4883

- ‌4884

- ‌4885

- ‌4886

- ‌4887

- ‌4888

- ‌4889

- ‌4890

- ‌4891

- ‌4892

- ‌4893

- ‌4894

- ‌4895

- ‌4896

- ‌4897

- ‌4898

- ‌4899

- ‌4900

- ‌4901

- ‌4902

- ‌4903

- ‌4904

- ‌4905

- ‌4906

- ‌4907

- ‌4908

- ‌4909

- ‌4910

- ‌4911

- ‌4912

- ‌4913

- ‌4914

- ‌4915

- ‌4916

- ‌4917

- ‌4918

- ‌4919

- ‌4920

- ‌4921

- ‌4922

- ‌4923

- ‌4924

- ‌4925

- ‌4926

- ‌4927

- ‌4928

- ‌4929

- ‌4930

- ‌4931

- ‌4932

- ‌4933

- ‌4934

- ‌4935

- ‌4936

- ‌4937

- ‌4938

- ‌4939

- ‌4940

- ‌4941

- ‌4942

- ‌4943

- ‌4944

- ‌4945

- ‌4946

- ‌4947

- ‌4948

- ‌4949

- ‌4950

- ‌4951

- ‌4952

- ‌4953

- ‌4954

- ‌4955

- ‌4956

- ‌4957

- ‌4958

- ‌4959

- ‌4960

- ‌4961

- ‌4962

- ‌4963

- ‌4964

- ‌4965

- ‌4966

- ‌4967

- ‌4968

- ‌4969

- ‌4970

- ‌4971

- ‌4972

- ‌4973

- ‌4974

- ‌4975

- ‌4976

- ‌4977

- ‌4978

- ‌4979

- ‌4980

- ‌4981

- ‌4982

- ‌4983

- ‌4984

- ‌4985

- ‌4986

- ‌4987

- ‌4988

- ‌4989

- ‌4990

- ‌4991

- ‌4992

- ‌4993

- ‌4994

- ‌4995

- ‌4996

- ‌4997

- ‌4998

- ‌4999

- ‌5000

الفصل: "كن له طهوراً"؛ بلفظ: "الاستطابة (وفي رواية: الاستنجاء) بثلاثة أحجار ليس

"كن له طهوراً"؛ بلفظ:

"الاستطابة (وفي رواية: الاستنجاء) بثلاثة أحجار ليس فيهن رجيع".

وهو الصحيح، وهو مخرج في "صحيح أبي داود"(31) .

‌4545

- (من استعمل رجلاً على عصابة، وفي تلك العصابة من هو أرضى لله منه؛ فقد خان الله ورسوله، وخان جماعة المسلمين) .

ضعيف

رواه العقيلي في "الضعفاء"(90) و (1/ 248 - ط) ، وابن أبي عاصم في "السنة"(2/ 126/ 1462)، وابن عدي (95/ 1) و (2/ 352 - ط) عن حسين ابن قيس عن عكرمة عن ابن عباس مرفوعاً. وقال العقيلي:

"لا يتابع عليه، ولا يعرف إلا به، ويروى من كلام عمر بن الخطاب".

وروى عن أحمد أنه قال في حسين هذا:

"متروك الحديث، ضعيف الحديث". وعن ابن معين:

"ليس بشيء". وقال الحافظ في "التقريب":

"متروك". وقال الذهبي في "المغني":

"ضعفوه، لقبه حنش".

ومن طريقه: أخرجه الحاكم (4/ 92-93) . وقال:

"صحيح الإسناد"!

وسقط الحديث من "تلخيص الذهبي"؛ فلم ندر موقفه من هذا التصحيح، وإن كان خطأ بيناً. ولذلك تعقبه المنذري بقوله في "الترغيب" (3/ 142) :

"حسين هذا: هو حنش، واه".

ص: 48

ثم رأيت في تعليق الشيخ الفاضل سعد آل حميد على "مختصر استدراك الذهبي"(5/ 2511) :

"هذا الحديث بكامله ليس في "التلخيص" المطبوع. وفي المخطوط قال: "قلت: حسين ضعيف

".

وتعقبه في حديث آخر بقوله:

"قال الدارقطني: متروك"، وسيأتي برقم (6652) .

وقد وجدت له طريقاً آخر: يرويه ابن لهيعة: حدثنا يزيد بن أبي حبيب عن عكرمة به.

أخرجه البيهقي (10/ 118) .

قلت: فهذه متابعة قوية لحسين بن قيس، ترد قول العقيلي المتقدم: أنه لا يتابع عليه.

لكن ابن لهيعة سيىء الحفظ، فلعله لذلك نفى المتابعة! ولكن ذلك ينافي المعهود منهم من إثبات المتابعة، ولو كان في الطريق إليها ضعف.

وتابعه أبو محمد الجزري - وهو حمزة النصيبي - عن عمرو بن دينار عن ابن عباس به.

أخرجه الطبراني في "الكبير"(3/ 114/ 1) .

وحمزة هذا: هو ابن حمزة الجعفي؛ متروك؛ كما في "التقريب".

وقد روي أتم منه من حديث حذيفة، وسيأتي برقم (7146) .

ص: 49