المَكتَبَةُ الشَّامِلَةُ السُّنِّيَّةُ

الرئيسية

أقسام المكتبة

المؤلفين

القرآن

البحث 📚

فظنه من نقله التويجري عنه أنه العمري، ولعله الحافظ في - سلسلة الأحاديث الضعيفة والموضوعة وأثرها السيئ في الأمة - جـ ١٢

[ناصر الدين الألباني]

فهرس الكتاب

- ‌المقدمة:

- ‌5501

- ‌5502

- ‌5503

- ‌5504

- ‌5505

- ‌5506

- ‌5507

- ‌5508

- ‌5509

- ‌5510

- ‌5511

- ‌5512

- ‌5513

- ‌5514

- ‌5515

- ‌‌‌5516

- ‌5516

- ‌5517

- ‌5518

- ‌5519

- ‌5520

- ‌5521

- ‌5522

- ‌5523

- ‌5524

- ‌5525

- ‌5526

- ‌5527

- ‌5528

- ‌5529

- ‌5530

- ‌5531

- ‌5532

- ‌5533

- ‌5534

- ‌5535

- ‌5536

- ‌5537

- ‌5538

- ‌5539

- ‌5540

- ‌5541

- ‌5542

- ‌5543

- ‌5544

- ‌5545

- ‌5546

- ‌5547

- ‌5548

- ‌5549

- ‌5550

- ‌5551

- ‌5552

- ‌5553

- ‌5554

- ‌5555

- ‌5556

- ‌5557

- ‌5558

- ‌5559

- ‌5560

- ‌5561

- ‌5562

- ‌5563

- ‌5564

- ‌5565

- ‌5566

- ‌5567

- ‌5568

- ‌5569

- ‌5570

- ‌5571

- ‌5572

- ‌5573

- ‌5574

- ‌5575

- ‌5576

- ‌5577

- ‌5578

- ‌5579

- ‌5580

- ‌5581

- ‌5582

- ‌5583

- ‌5584

- ‌5585

- ‌5586

- ‌5587

- ‌5588

- ‌5589

- ‌5590

- ‌5591

- ‌5592

- ‌5593

- ‌5594

- ‌5595

- ‌5596

- ‌5597

- ‌5598

- ‌5599

- ‌5600

- ‌5601

- ‌5602

- ‌5604

- ‌5605

- ‌5606

- ‌5607

- ‌5608

- ‌5609

- ‌5610

- ‌5611

- ‌5612

- ‌5613

- ‌5614

- ‌5615

- ‌5616

- ‌5617

- ‌5618

- ‌5619

- ‌5620

- ‌5621

- ‌5622

- ‌5623

- ‌5624

- ‌5625

- ‌5626

- ‌5627

- ‌5628

- ‌5629

- ‌5630

- ‌5631

- ‌5632

- ‌5633

- ‌5634

- ‌5635

- ‌5636

- ‌5637

- ‌5638

- ‌5639

- ‌5640

- ‌5641

- ‌5642

- ‌5643

- ‌5644

- ‌5645

- ‌5646

- ‌5647

- ‌5648

- ‌5649

- ‌5650

- ‌5651

- ‌5652

- ‌5653

- ‌5654

- ‌5655

- ‌5656

- ‌5657

- ‌5658

- ‌5659

- ‌5660

- ‌5661

- ‌5662

- ‌5663

- ‌5664

- ‌5665

- ‌5666

- ‌5667

- ‌5668

- ‌5669

- ‌5670

- ‌5671

- ‌5672

- ‌5673

- ‌5674

- ‌5675

- ‌5676

- ‌5677

- ‌5678

- ‌5679

- ‌5680

- ‌5681

- ‌5682

- ‌5683

- ‌5684

- ‌5685

- ‌5686

- ‌5687

- ‌5688

- ‌5689

- ‌5690

- ‌5691

- ‌5692

- ‌5693

- ‌5694

- ‌5695

- ‌5696

- ‌5697

- ‌5698

- ‌5699

- ‌5700

- ‌5701

- ‌5702

- ‌5703

- ‌5704

- ‌5705

- ‌5706

- ‌5707

- ‌5708

- ‌5709

- ‌5710

- ‌5711

- ‌5712

- ‌5713

- ‌5714

- ‌5715

- ‌5716

- ‌5717

- ‌5718

- ‌5719

- ‌5720

- ‌5721

- ‌5722

- ‌5723

- ‌5724

- ‌5725

- ‌5726

- ‌5727

- ‌5728

- ‌5729

- ‌5730

- ‌5731

- ‌5732

- ‌5733

- ‌5734

- ‌5735

- ‌5736

- ‌5737

- ‌5738

- ‌5739

- ‌5740

- ‌5741

- ‌5742

- ‌5743

- ‌5743 / م

- ‌5744

- ‌5745

- ‌5746

- ‌5747

- ‌5748

- ‌5749

- ‌5750

- ‌5752

- ‌5753

- ‌5754

- ‌5755

- ‌5756

- ‌5757

- ‌5758

- ‌5759

- ‌5760

- ‌5761

- ‌5762

- ‌5763

- ‌5765

- ‌5766

- ‌5767

- ‌5768

- ‌5769

- ‌5770

- ‌5771

- ‌5772

- ‌5773

- ‌5774

- ‌5775

- ‌5776

- ‌5777

- ‌5778

- ‌5779

- ‌5780

- ‌5781

- ‌5782

- ‌5783

- ‌5784

- ‌5785

- ‌5786

- ‌5787

- ‌5788

- ‌5789

- ‌5790

- ‌5791

- ‌5793

- ‌5794

- ‌5795

- ‌5796

- ‌5797

- ‌5798

- ‌5798 / م

- ‌5799

- ‌5800

- ‌5801

- ‌5802

- ‌5803

- ‌5804

- ‌5805

- ‌5806

- ‌5807

- ‌5808

- ‌5809

- ‌5810

- ‌5811

- ‌5812

- ‌5813

- ‌5814

- ‌5815

- ‌5816

- ‌5817

- ‌5818

- ‌5819

- ‌5820

- ‌5821

- ‌5822

- ‌5823

- ‌5824

- ‌5825

- ‌5826

- ‌5827

- ‌5828

- ‌5829

- ‌5830

- ‌5831

- ‌5832

- ‌5833

- ‌5834

- ‌5835

- ‌5836

- ‌5837

- ‌5838

- ‌5839

- ‌5840

- ‌5841

- ‌5842

- ‌5843

- ‌5844

- ‌5845

- ‌5846

- ‌5847

- ‌5848

- ‌5849

- ‌5850

- ‌5851

- ‌5851 / م

- ‌5852

- ‌5853

- ‌5854

- ‌5855

- ‌5856

- ‌5857

- ‌5858

- ‌5859

- ‌5860

- ‌5861

- ‌5862

- ‌5863

- ‌5864

- ‌5865

- ‌5866

- ‌5867

- ‌5868

- ‌5869

- ‌5870

- ‌5871

- ‌5872

- ‌5873

- ‌5874

- ‌5875

- ‌5876

- ‌5877

- ‌5878

- ‌5879

- ‌5880

- ‌5881

- ‌5882

- ‌5883

- ‌5884

- ‌5885

- ‌5886

- ‌5887

- ‌5888

- ‌5889

- ‌5890

- ‌5891

- ‌5892

- ‌5893

- ‌5894

- ‌5894 / م

- ‌5895

- ‌5896

- ‌5897

- ‌5898

- ‌5899

- ‌5900

- ‌5901

- ‌5902

- ‌5903

- ‌5904

- ‌5905

- ‌5906

- ‌5907

- ‌5908

- ‌5909

- ‌5910

- ‌5911

- ‌5912

- ‌5914

- ‌5915

- ‌5916

- ‌5917

- ‌5918

- ‌5919

- ‌5920

- ‌5921

- ‌5922

- ‌5923

- ‌5924

- ‌5925

- ‌5926

- ‌5927

- ‌5928

- ‌5929

- ‌5930

- ‌5931

- ‌5932

- ‌5933

- ‌5934

- ‌5935

- ‌5936

- ‌5937

- ‌5938

- ‌5939

- ‌5940

- ‌5941

- ‌5942

- ‌5943

- ‌5944

- ‌5945

- ‌5946

- ‌5947

- ‌5948

- ‌5949

- ‌5950

- ‌5951

- ‌5953

- ‌5954

- ‌5955

- ‌5956

- ‌5957

- ‌5958

- ‌‌‌5959

- ‌5959

- ‌5960

- ‌5961

- ‌5962

- ‌5963

- ‌5964

- ‌5965

- ‌5966

- ‌5967

- ‌5968

- ‌5969

- ‌5970

- ‌5971

- ‌5972

- ‌5973

- ‌5974

- ‌5975

- ‌5977

- ‌5978

- ‌5978 / م

- ‌5979

- ‌5980

- ‌5981

- ‌5982

- ‌5983

- ‌5984

- ‌5985

- ‌5986

- ‌5987

- ‌5988

- ‌5989

- ‌5990

- ‌5991

- ‌5992

- ‌5993

- ‌5995

- ‌5996

- ‌5997

- ‌5998

- ‌5999

- ‌6000

الفصل: فظنه من نقله التويجري عنه أنه العمري، ولعله الحافظ في

فظنه من نقله التويجري عنه أنه العمري، ولعله الحافظ في " الإصابة "، فزاد هذه

النسبة من عنده!

‌5981

- (لا يلجنّ من هذا الباب من الرجال أحد. يعني: باب

النساء في المسجد! اَلنَّبَوِيّ) .

منكر. أخرجه الطيالسي في " مسنده) ! (1829) ، ومن طريقه أبو نعيم في

" حلية الأولياء "(1 / 313) : حدثنا عبد الله بن نافع عن أبيه عن ابن عمر: أن رسول الله صلى الله عليه وسلم لما بنى المسجد جعل له باباً للنساء، وقال:. . . فذكره.

قال نافع: فما رأيت ابن عمر دَاخِلًا من ذلك الباب ولا خَارِجًا منه.

قلت: وهذا إسناد واه؛ عبد الله بن نافع: هو العدوي مولاهم المدني، قال الذهبي في " الكاشف " و " الضعفاء ":

" ضعفوه ". وقال الحافظ في " التقريب ":

قلت: وتركه النسائي والدارقطني. وقال اَلْبُخَارِيّ في " التاريخ "(3 / 1 / 214) وأبو أحمد الحاكم:

" منكر الحديث ".

قلت: وهذا الحديث من مناكيره عندي؛ فقد خالفه أيوب في لفظه فقال: وعن

نافع به بلفظ:

" لو تركنا هذا الباب للنساء ".

ص: 963

قال نافع: فلم يدخل منه ابن عمر حتى مات.

أخرجه أبو داود (462، 571) . وأعله بالوقف، والراجح عندي الرفع كما بينته في " صحيح أبي داود "(483) .

ولفظ الموقوف عند البخاري في " التاريخ الكبير "(1 / 60) من طريق محمد

ابن عبد الرحمن: أن رَجُلًا حدثه - حسبته محمد بن أبي حكيم - سمع ابن عمر عن عمر قال:

" لا تدخلوا المسجد من باب النساء ".

قلت: وهذا إسناد موقوف ضعيف؛ محمد بن أبي حكيم؛ مجهول لم يرو عنه غَيْر هذا الرجل الذي لم يسم. ومحمد بن عبد الرحمن؛ هو ابن نوفل أبو الأسود الثقة. وابن أبي حكيم هذا؛ ذكره ابن حبان في " الثقات "(5 / 366) ؛ لكن سقط منه الرجل الذي بينه وبين ابن نوفل! وعلى كل حال فهو مجهول كما ذكرت، حتى على افتراض أنه سمع منه ابن نوفل.

وأخرجه أبو داود (463، 464) من طريقين عن نافع: أن عمر بن الخطاب كان ينهى أن يدخل من باب إلنساء.

وهذا منقطع. ولذلك؛ أوردته في " ضعيف سن أبي داود "(72 - 73) . والخلاصة: أن النهي الصريح عن الدخول من باب النساء رفعه عن النبي صلى الله عليه وسلم لا يصح. والصحيح حضه على ذلك بقوله: " لو تركناه لِلنِّسَاءِ " كما تقدم. وَاَللَّه أعلم.

والحديث مع الموقوف على عمر مما سود به الشيخ التويجري كتابه أَيْضًا (ص

ص: 964