المَكتَبَةُ الشَّامِلَةُ السُّنِّيَّةُ

الرئيسية

أقسام المكتبة

المؤلفين

القرآن

البحث 📚

هي دار القرار، والدنيا غرارة لأهلها، والمغرور من اغتر بها) - سلسلة الأحاديث الضعيفة والموضوعة وأثرها السيئ في الأمة - جـ ١١

[ناصر الدين الألباني]

فهرس الكتاب

- ‌المقدمة:

- ‌5001

- ‌5002

- ‌5003

- ‌5004

- ‌5005

- ‌5006

- ‌5007

- ‌5008

- ‌5009

- ‌5010

- ‌5011

- ‌5012

- ‌5013

- ‌5014

- ‌5015

- ‌5016

- ‌5017

- ‌5018

- ‌5019

- ‌5020

- ‌5021

- ‌5022

- ‌5023

- ‌5025

- ‌5026

- ‌5027

- ‌5028

- ‌5029

- ‌5030

- ‌5031

- ‌5032

- ‌5033

- ‌5034

- ‌5035

- ‌5036

- ‌5037

- ‌5038

- ‌5039

- ‌5040

- ‌5041

- ‌5042

- ‌5043

- ‌5043/ م

- ‌5044

- ‌5045

- ‌5046

- ‌5047

- ‌5048

- ‌5049

- ‌5050

- ‌5051

- ‌5052

- ‌5053

- ‌‌‌5054

- ‌5054

- ‌5055

- ‌5056

- ‌5057

- ‌5058

- ‌5059

- ‌5060

- ‌5061

- ‌5062

- ‌5063

- ‌5064

- ‌5065

- ‌5066

- ‌5067

- ‌5068

- ‌5069

- ‌5070

- ‌5071

- ‌5072

- ‌5073

- ‌5074

- ‌5075

- ‌5076

- ‌5077

- ‌5078

- ‌5079

- ‌5080

- ‌5081

- ‌5082

- ‌5083

- ‌5084

- ‌5085

- ‌5086

- ‌5087

- ‌5088

- ‌5089

- ‌5090

- ‌5091

- ‌5092

- ‌5093

- ‌5094

- ‌5095

- ‌5096

- ‌5097

- ‌5098

- ‌5099

- ‌5100

- ‌5101

- ‌5102

- ‌5103

- ‌5104

- ‌5105

- ‌5106

- ‌5107

- ‌5108

- ‌5109

- ‌5110

- ‌5111

- ‌5112

- ‌5113

- ‌5114

- ‌5116

- ‌5117

- ‌5118

- ‌5119

- ‌5120

- ‌5121

- ‌5122

- ‌5123

- ‌5124

- ‌5125

- ‌5126

- ‌5127

- ‌5128

- ‌5129

- ‌5130

- ‌5131

- ‌5132

- ‌5133

- ‌5134

- ‌5135

- ‌5136

- ‌5137

- ‌5138

- ‌5139

- ‌5140

- ‌5141

- ‌5141/ م

- ‌5142

- ‌5142/ م

- ‌5143

- ‌5144

- ‌5145

- ‌5146

- ‌5147

- ‌5148

- ‌5149

- ‌5150

- ‌5151

- ‌5152

- ‌5153

- ‌5154

- ‌5155

- ‌5156

- ‌5157

- ‌5158

- ‌5159

- ‌5160

- ‌5161

- ‌5162

- ‌5163

- ‌5164

- ‌5165

- ‌5166

- ‌5167

- ‌5168

- ‌5169

- ‌5170

- ‌5171

- ‌5172

- ‌5173

- ‌5174

- ‌5175

- ‌5176

- ‌5177

- ‌5179

- ‌5180

- ‌5181

- ‌5182

- ‌5183

- ‌5184

- ‌5185

- ‌5186

- ‌5187

- ‌5188

- ‌5189

- ‌5190

- ‌5191

- ‌5192

- ‌5193

- ‌5194

- ‌5195

- ‌5196

- ‌5197

- ‌5198

- ‌5199

- ‌5200

- ‌5201

- ‌5202

- ‌5203

- ‌5204

- ‌5205

- ‌5206

- ‌5207

- ‌5208

- ‌5209

- ‌5210

- ‌5211

- ‌5212

- ‌5213

- ‌5214

- ‌5215

- ‌5216

- ‌5217

- ‌5218

- ‌5219

- ‌5220

- ‌5221

- ‌5222

- ‌5223

- ‌5224

- ‌5225

- ‌5226

- ‌5227

- ‌5228

- ‌5229

- ‌5230

- ‌5231

- ‌5232

- ‌5233

- ‌5234

- ‌5235

- ‌5236

- ‌5237

- ‌5238

- ‌5239

- ‌5240

- ‌5241

- ‌5242

- ‌5243

- ‌5244

- ‌5245

- ‌5246

- ‌5247

- ‌5248

- ‌5249

- ‌5250

- ‌5251

- ‌5252

- ‌5253

- ‌5254

- ‌5255

- ‌5256

- ‌5257

- ‌5258

- ‌5259

- ‌5260

- ‌5261

- ‌5262

- ‌5263

- ‌5264

- ‌5265

- ‌5266

- ‌5267

- ‌5268

- ‌5269

- ‌5270

- ‌5271

- ‌5272

- ‌5273

- ‌5274

- ‌5275

- ‌5276

- ‌5277

- ‌5279

- ‌5280

- ‌5281

- ‌5282

- ‌5283

- ‌5284

- ‌5285

- ‌5286

- ‌5287

- ‌5288

- ‌5289

- ‌5290

- ‌5291

- ‌5293

- ‌5294

- ‌5295

- ‌5296

- ‌5297

- ‌5298

- ‌5299

- ‌5300

- ‌5301

- ‌5302

- ‌5303

- ‌5304

- ‌5305

- ‌5306

- ‌5307

- ‌5308

- ‌5309

- ‌5310

- ‌5311

- ‌5312

- ‌5313

- ‌5314

- ‌5315

- ‌5316

- ‌5317

- ‌5318

- ‌5319

- ‌5320

- ‌5321

- ‌5322

- ‌5323

- ‌5324

- ‌5325

- ‌5326

- ‌5327

- ‌5328

- ‌5329

- ‌5330

- ‌5331

- ‌5332

- ‌5333

- ‌5334

- ‌5335

- ‌5336

- ‌5337

- ‌5338

- ‌5339

- ‌5340

- ‌5341

- ‌5342

- ‌5343

- ‌5344

- ‌5345

- ‌5346

- ‌5347

- ‌5348

- ‌5349

- ‌5350

- ‌5351

- ‌5352

- ‌5353

- ‌5354

- ‌5355

- ‌5356

- ‌5357

- ‌5358

- ‌5359

- ‌5360

- ‌5361

- ‌5362

- ‌5363

- ‌5364

- ‌5365

- ‌5366

- ‌5367

- ‌5368

- ‌5369

- ‌5370

- ‌5371

- ‌5372

- ‌5373

- ‌5374

- ‌5375

- ‌5376

- ‌5377

- ‌5378

- ‌5379

- ‌5380

- ‌5381

- ‌5382

- ‌5383

- ‌5384

- ‌5385

- ‌5386

- ‌5387

- ‌5388

- ‌5389

- ‌5390

- ‌5391

- ‌5392

- ‌5393

- ‌5394

- ‌5395

- ‌5396

- ‌5397

- ‌5398

- ‌5399

- ‌5400

- ‌5401

- ‌5402

- ‌5403

- ‌5404

- ‌5405

- ‌5406

- ‌5408

- ‌5409

- ‌5410

- ‌5411

- ‌5412

- ‌5413

- ‌5414

- ‌5415

- ‌5416

- ‌5417

- ‌5418

- ‌5419

- ‌5420

- ‌5421

- ‌5422

- ‌5423

- ‌5424

- ‌5425

- ‌5426

- ‌5427

- ‌5428

- ‌5429

- ‌5430

- ‌5431

- ‌5432

- ‌5433

- ‌5434

- ‌5435

- ‌5436

- ‌5437

- ‌5438

- ‌5439

- ‌5440

- ‌5441

- ‌5442

- ‌5443

- ‌5444

- ‌5445

- ‌5446

- ‌5447

- ‌5448

- ‌5449

- ‌5450

- ‌5451

- ‌5452

- ‌5453

- ‌5454

- ‌5455

- ‌5456

- ‌5457

- ‌5458

- ‌5459

- ‌5460

- ‌5461

- ‌5462

- ‌5463

- ‌5464

- ‌5465

- ‌5466

- ‌5467

- ‌5468

- ‌5469

- ‌5470

- ‌5471

- ‌5472

- ‌5473

- ‌5474

- ‌5475

- ‌5476

- ‌5477

- ‌5478

- ‌5479

- ‌5480

- ‌5481

- ‌5482

- ‌5483

- ‌5484

- ‌5485

- ‌5486

- ‌5487

- ‌5488

- ‌5489

- ‌5490

- ‌5491

- ‌5492

- ‌5493

- ‌5494

- ‌5495

- ‌5496

- ‌5497

- ‌5498

- ‌5499

- ‌5500

الفصل: هي دار القرار، والدنيا غرارة لأهلها، والمغرور من اغتر بها)

هي دار القرار، والدنيا غرارة لأهلها، والمغرور من اغتر بها) .

موضوع

أخرجه الأصبهاني في "الترغيب"(238/ 1) من طريق أبي محمد بن حيان: حدثنا أبو إسحاق بن أحمد الفارسي: حدثنا سهل بن زياد القطان عن كثير بن سليم عن أنس بن مالك رضي الله عنه مرفوعاً.

قلت: وهذا موضوع؛ آثار الصنع عليه ظاهرة، وهو من صنع كثير هذا؛ فقد قال فيه ابن حبان (2/ 223) :

"كان ممن يروي عن أنس ما ليس من حديثه من غير رؤيته، ويضع عليه، ثم يحدث به". ونحوه قول أبي حاتم فيما رواه ابنه عنه (3/ 2/ 152) :

"ضعيف الحديث، منكر الحديث، لا يروي عن أنس حديثاً له أصل من رواية غيره".

وقد مضى له حديث آخر استنكره أبو زرعة برقم (117) .

‌5478

- (ثلاث من كن فيه؛ آواه الله في كنفه، ونشر عليه رحمته، وأدخله في محبته: من إذا أعطي شكر، وإذا قدر غفر، وإذا غضب فتر) .

موضوع

أخرجه الحاكم (1/ 125) ، وعنه البيهقي في "الشعب"(4/ 105/ 4433)، والأصبهاني في "الترغيب" (ق 236/ 1) من طريق يعقوب ابن سفيان: حدثنا عمر بن راشد - كان ينزل (الجار) -: حدثنا محمد بن عبد الرحمن ابن أبي ذئب عن هشام بن عروة عن محمد بن علي عن ابن عباس مرفوعاً. وقال الحاكم:

ص: 835

"صحيح الإسناد؛ فإن عمر بن راشد شيخ من أهل الحجاز من أهل المدينة، قد روى عنه أكابر المحدثين"!! وتعقبه الذهبي بقوله:

"قلت: بل واه؛ فإن عمر قال فيه أبو حاتم: وجدت حديثه كذباً".

قلت: تمام كلام أبي حاتم في رواية ابنه عنه (3/ 1/ 108) :

".. وزوراً، والعجب من يعقوب بن سفيان كيف روى عنه؟! لأني في ذلك الوقت وأنا شاب؛ علمت أن تلك الأحاديث موضوعة، فلم تطب نفسي أن أسمعها، فكيف خفي على يعقوب بن سفيان ذلك؟! ".

قلت: وفي ذلك إشارة إلى أن رواية الثقة عن شيخ لا يكون توثيقاً له، وهو الصحيح؛ حتى ولو كان ينص على عدالة شيوخه، كما قال الحافظ ابن كثير في "مختصره" (ص 106) ؛ خلافاً لما أشار إليه كلام الحاكم المتقدم:

"قد روى عنه أكابر المحدثين"!

فلا جرم أن الحافظ الذهبي لم يعرج عليه.

وكأن الحاكم أشار بذلك إلى رواية يعقوب بن سفيان عنه.

ثم أخرجه البيهقي (4434) من طريق ابن عدي، وهذا في "الكامل" (6/ 378) : حدثنا أحمد بن داود بن أبي صالح: حدثنا أبو مصعب المديني - يقلب (مطرف) -: حدثني محمد بن عبد الرحمن بن أبي ذئب به نحوه.

ساقه ابن عدي مع أحاديث أخرى في ترجمة (مطرف) هذا؛ وقال:

"يأتي بمناكير".

ص: 836