المَكتَبَةُ الشَّامِلَةُ السُّنِّيَّةُ

الرئيسية

أقسام المكتبة

المؤلفين

القرآن

البحث 📚

تحقيق الأخ الفاضل عبد الباري السلفي) ، وضربوا لذلك مثلاً - سلسلة الأحاديث الصحيحة وشيء من فقهها وفوائدها - جـ ٧

[ناصر الدين الألباني]

فهرس الكتاب

- ‌3001

- ‌3002

- ‌3003

- ‌3004

- ‌3005

- ‌3006

- ‌3007

- ‌3008

- ‌3009

- ‌3010

- ‌3011

- ‌3012

- ‌3013

- ‌3014

- ‌3015

- ‌3016

- ‌3017

- ‌3018

- ‌3019

- ‌3020

- ‌3021

- ‌3022

- ‌3023

- ‌3024

- ‌3025

- ‌3026

- ‌3027

- ‌3028

- ‌3029

- ‌3030

- ‌3031

- ‌3032

- ‌3033

- ‌3034

- ‌3035

- ‌3036

- ‌3037

- ‌3038

- ‌3039

- ‌3040

- ‌3041

- ‌3042

- ‌3043

- ‌3044

- ‌3045

- ‌3046

- ‌3047

- ‌3048

- ‌3049

- ‌3050

- ‌3051

- ‌3052

- ‌3053

- ‌3054

- ‌3055

- ‌3056

- ‌3057

- ‌3058

- ‌3059

- ‌3060

- ‌3061

- ‌3062

- ‌3063

- ‌3064

- ‌3065

- ‌3066

- ‌3067

- ‌3068

- ‌3069

- ‌3070

- ‌3071

- ‌3072

- ‌3073

- ‌3074

- ‌3075

- ‌3076

- ‌3077

- ‌3078

- ‌3079

- ‌3080

- ‌3081

- ‌3082

- ‌3083

- ‌3084

- ‌3085

- ‌3086

- ‌3087

- ‌3088

- ‌3089

- ‌3090

- ‌3091

- ‌3092

- ‌3093

- ‌3094

- ‌3095

- ‌3096

- ‌3097

- ‌3098

- ‌3099

- ‌3100

- ‌3101

- ‌3102

- ‌3103

- ‌3104

- ‌3105

- ‌3106

- ‌3107

- ‌3108

- ‌3109

- ‌3110

- ‌3111

- ‌3112

- ‌3113

- ‌3114

- ‌3115

- ‌3116

- ‌3117

- ‌3118

- ‌3119

- ‌3120

- ‌3121

- ‌3122

- ‌3123

- ‌3124

- ‌3125

- ‌3126

- ‌3127

- ‌3128

- ‌3129

- ‌3130

- ‌3131

- ‌3132

- ‌3133

- ‌3134

- ‌3135

- ‌3136

- ‌3137

- ‌3138

- ‌3139

- ‌3140

- ‌3141

- ‌3142

- ‌3143

- ‌3144

- ‌3145

- ‌3146

- ‌3147

- ‌3148

- ‌3149

- ‌3150

- ‌3151

- ‌3152

- ‌3153

- ‌3154

- ‌3155

- ‌3156

- ‌3157

- ‌3158

- ‌3159

- ‌3160

- ‌3161

- ‌3162

- ‌3163

- ‌3164

- ‌3165

- ‌3166

- ‌3167

- ‌3168

- ‌3169

- ‌3170

- ‌3171

- ‌3172

- ‌3173

- ‌3174

- ‌3175

- ‌3176

- ‌3177

- ‌3178

- ‌3179

- ‌3180

- ‌3181

- ‌3182

- ‌3183

- ‌3184

- ‌3185

- ‌3186

- ‌3187

- ‌3188

- ‌3189

- ‌3190

- ‌3191

- ‌3192

- ‌3193

- ‌3194

- ‌3195

- ‌3196

- ‌3197

- ‌3198

- ‌3199

- ‌3200

- ‌3201

- ‌3202

- ‌3203

- ‌3204

- ‌3205

- ‌3206

- ‌3207

- ‌3208

- ‌3209

- ‌3210

- ‌3211

- ‌3212

- ‌3213

- ‌3214

- ‌3215

- ‌3216

- ‌3217

- ‌3218

- ‌3219

- ‌3220

- ‌3221

- ‌3222

- ‌3223

- ‌3224

- ‌3225

- ‌3226

- ‌3227

- ‌3228

- ‌3229

- ‌3230

- ‌3231

- ‌3232

- ‌3233

- ‌3234

- ‌3235

- ‌3236

- ‌3237

- ‌3238

- ‌3239

- ‌ 3240

- ‌3241

- ‌3242

- ‌3243

- ‌3244

- ‌3245

- ‌3246

- ‌3247

- ‌3248

- ‌3249

- ‌3250

- ‌3251

- ‌3252

- ‌3253

- ‌3254

- ‌3255

- ‌3256

- ‌3257

- ‌3258

- ‌3259

- ‌3260

- ‌3261

- ‌3262

- ‌3263

- ‌3264

- ‌3265

- ‌3266

- ‌3267

- ‌3268

- ‌3269

- ‌3270

- ‌3271

- ‌3272

- ‌3273

- ‌3274

- ‌3275

- ‌3276

- ‌3277

- ‌3278

- ‌3279

- ‌3280

- ‌3281

- ‌3282

- ‌3283

- ‌3284

- ‌3285

- ‌3286

- ‌3287

- ‌3288

- ‌3289

- ‌3290

- ‌3291

- ‌3292

- ‌3293

- ‌3294

- ‌3295

- ‌3296

- ‌3297

- ‌3298

- ‌3299

- ‌3300

- ‌3301

- ‌3302

- ‌3303

- ‌3304

- ‌3305

- ‌3306

- ‌3307

- ‌3308

- ‌3309

- ‌3310

- ‌3311

- ‌3312

- ‌3313

- ‌3314

- ‌3315

- ‌3316

- ‌3317

- ‌3318

- ‌3319

- ‌3320

- ‌3321

- ‌3322

- ‌3323

- ‌3324

- ‌3325

- ‌3326

- ‌3327

- ‌3328

- ‌3329

- ‌3330

- ‌3331

- ‌3332

- ‌3333

- ‌3334

- ‌3335

- ‌3336

- ‌3337

- ‌3338

- ‌3339

- ‌3340

- ‌3341

- ‌3342

- ‌3343

- ‌3344

- ‌3345

- ‌3346

- ‌3347

- ‌3348

- ‌3349

- ‌3350

- ‌3351

- ‌3352

- ‌3353

- ‌3354

- ‌3355

- ‌3356

- ‌3357

- ‌3358

- ‌3359

- ‌3360

- ‌3361

- ‌3362

- ‌3363

- ‌3364

- ‌3365

- ‌3366

- ‌3367

- ‌3368

- ‌3369

- ‌3370

- ‌3371

- ‌3372

- ‌3373

- ‌3374

- ‌3375

- ‌3376

- ‌3377

- ‌3378

- ‌3379

- ‌3380

- ‌3381

- ‌3382

- ‌3383

- ‌3384

- ‌3385

- ‌3386

- ‌3387

- ‌3388

- ‌3389

- ‌3390

- ‌3391

- ‌3392

- ‌3393

- ‌3394

- ‌3395

- ‌3396

- ‌3397

- ‌3398

- ‌3399

- ‌3400

- ‌3401

- ‌3402

- ‌3403

- ‌3404

- ‌3405

- ‌3406

- ‌3407

- ‌3408

- ‌3409

- ‌3410

- ‌3411

- ‌3412

- ‌3413

- ‌3414

- ‌3415

- ‌3415/2

- ‌3416

- ‌3417

- ‌3418

- ‌3419

- ‌3420

- ‌3421

- ‌3422

- ‌3423

- ‌3424

- ‌3425

- ‌3426

- ‌3427

- ‌3428

- ‌3429

- ‌3430

- ‌3431

- ‌3432

- ‌3433

- ‌3434

- ‌3435

- ‌3436

- ‌3437

- ‌3438

- ‌3439

- ‌3440

- ‌3441

- ‌3442

- ‌3443

- ‌3444

- ‌3445

- ‌3446

- ‌3447

- ‌3448

- ‌3449

- ‌3450

- ‌3451

- ‌3452

- ‌3453

- ‌3454

- ‌3455

- ‌3456

- ‌3457

- ‌3458

- ‌3459

- ‌3460

- ‌3461

- ‌3462

- ‌3463

- ‌3464

- ‌3465

- ‌3466

- ‌3467

- ‌3468

- ‌3469

- ‌3470

- ‌3471

- ‌3472

- ‌3473

- ‌3474

- ‌3475

- ‌3476

- ‌3477

- ‌3478

- ‌3479

- ‌3480

- ‌3481

- ‌3482

- ‌3483

- ‌3484

- ‌3485

- ‌3486

- ‌3487

- ‌3488

- ‌3489

- ‌3490

- ‌3491

- ‌3492

- ‌3493

- ‌3494

- ‌3495

- ‌3496

- ‌3497

- ‌3498

- ‌3499

- ‌3500

- ‌3501

- ‌3502

- ‌3503

- ‌3504

- ‌3505

- ‌3506

- ‌3507

- ‌3508

- ‌3509

- ‌3510

- ‌3511

- ‌3512

- ‌3513

- ‌3514

- ‌3515

- ‌3516

- ‌3517

- ‌3518

- ‌3519

- ‌3520

- ‌3521

- ‌3522

- ‌3523

- ‌3524

- ‌3525

- ‌3526

- ‌3527

- ‌3528

- ‌3529

- ‌3530

- ‌3531

- ‌3532

- ‌3533

- ‌3534

- ‌3535

- ‌3536

- ‌3537

- ‌3538

- ‌3539

- ‌3540

- ‌3541

- ‌3542

- ‌3543

- ‌3544

- ‌3545

- ‌3546

- ‌3547

- ‌3548

- ‌3549

- ‌3550

- ‌3551

- ‌3552

- ‌3553

- ‌3554

- ‌3555

- ‌3556

- ‌3557

- ‌3558

- ‌3559

- ‌3560

- ‌3561

- ‌3562

- ‌3563

- ‌3564

- ‌3565

- ‌3566

- ‌3567

- ‌3568

- ‌3569

- ‌3570

- ‌3571

- ‌3572

- ‌3573

- ‌3574

- ‌3575

- ‌3576

- ‌3577

- ‌3578

- ‌3579

- ‌3580

- ‌3581

- ‌3582

- ‌3583

- ‌3584

- ‌3585

- ‌3586

- ‌3587

- ‌3588

- ‌3589

- ‌3590

- ‌3591

- ‌3592

- ‌3593

- ‌3594

- ‌3595

- ‌3596

- ‌3597

- ‌3598

- ‌3599

- ‌3600

- ‌3601

- ‌3602

- ‌3603

- ‌3604

- ‌3605

- ‌3606

- ‌3607

- ‌3608

- ‌3609

- ‌3610

- ‌3611

- ‌3612

- ‌3613

- ‌3614

- ‌3615

- ‌3616

- ‌3617

- ‌3618

- ‌3619

- ‌3620

- ‌3621

- ‌3622

- ‌3623

- ‌3624

- ‌3937

- ‌3938

- ‌3939

- ‌3940

- ‌3941

- ‌3942

- ‌3943

- ‌3944

- ‌3945

- ‌3946

- ‌3947

- ‌3948

- ‌3949

- ‌3950

- ‌3951

- ‌3952

- ‌3953

- ‌3954

- ‌3955

- ‌3956

- ‌3957

- ‌3958

- ‌3959

- ‌3960

- ‌3961

- ‌3962

- ‌3963

- ‌3964

- ‌3965

- ‌3966

- ‌3967

- ‌3968

- ‌3969

- ‌3970

- ‌3971

- ‌3972

- ‌3973

- ‌3974

- ‌3975

- ‌3976

- ‌3977

- ‌3978

- ‌3979

- ‌3980

- ‌3981

- ‌3982

- ‌3983

- ‌3984

- ‌3985

- ‌3986

- ‌3987

- ‌3988

- ‌3989

- ‌3990

- ‌3991

- ‌3992

- ‌3993

- ‌3994

- ‌3995

- ‌3996

- ‌3997

- ‌3998

- ‌3999

- ‌4000

- ‌4001

- ‌4002

- ‌4003

- ‌4004

- ‌4005

- ‌4006

- ‌4033

- ‌4034

- ‌4035

الفصل: تحقيق الأخ الفاضل عبد الباري السلفي) ، وضربوا لذلك مثلاً

تحقيق الأخ الفاضل عبد الباري السلفي) ، وضربوا لذلك مثلاً بحديث أنس:"أمر بلال أن يشفع الأذان، ويوتر الإقامة". متفق عليه، وهو مخرج في "صحيح أبي داود" (525) . بل قال النووي في شرحه على "صحيح مسلم ":

"وقوله: "أُمر" هو بضم الهمزة وكسر الميم؛ أي: أمره رسول الله صلى الله عليه وسلم، هذا هو الصواب الذي عليه جمهور العلماء من الفقهاء وأصحاب الأصول وجميع المحدثين، وشذ بعضهم فقال: هذا اللفظ وشبهه موقوف؛ لاحتمال أن يكون الآمر غير رسول الله صلى الله عليه وسلم. وهذا خطأ، والصواب أنه مرفوع؛ لأن إطلاق ذلك إنما ينصرف إلى صاحب الأمر والنهي، وهو رسول الله صلى الله عليه وسلم ".

قلت: فقول أبي حميد: "أمر" كقول أنس ولا فرق، فهو- إذن- في حكم المرفوع. وأصرح منه رواية ابن حبان (1267) بلفظ:

"إنما كنا نؤمر.. ". *

‌3077

- (ما أظنُّ فلاناً وفلاناً يَعْرِفانِ من دِينِنا [الذي نحن عليه] شيئاً)

أخرجه البخاري (6067و 6068) من طريق سعيد بن عُفير- والسياق له- ويحيى بن بكير- والزيادة له- قالا: ثنا الليث عن عقيل عن ابن شهاب عن عروة عن عائشة قالت

فذكرته، زاد ابن عفير:

"قال الليث: كانا رجلين منافقين ".

وزاد يحيى في أوله:

دخل عليَّ النبي- صلى الله عليه وسلم يوماً، وقال

فذكره.

ص: 208

وترجم له البخاري بقوله:

"باب ما يجوز من الظن ".

قلت: والحديث مطابق لمفهوم قوله تعالى: (إن بعض الظن إثم)[الحجرات/12] ؛ أي: ليس كل الظن إثماً. ولهذا؛ قال شيخ الإسلام ابن تيمية في "مجموع الفتاوى"(15/ 331) :

"فهذا الحديث يقتضي جواز بعض الظن؛ كما احتج البخاري على ذلك؛ لكن مع العلم بما عليه المرء المسلم من الإيمان الوازع له عن فعل الفاحشة يجب أن يُظن به الخير دون الشر".

وقد استشكل بعضهم ترجمة البخاري للحديث بما سبق؛ فقال:

"الحديث لا يطابق الترجمة؛ لأن في الترجمة إثبات الظن، وفي الحديث نفي الظن ".

حكاه الحافظ في "الفتح "(10/485)، ثم رده بقوله:

"والجواب أن النفي في الحديث لظن النفي؛ لا لنفي الظن، فلا تنافي بينه وبين الترجمة. وحاصل الترجمة؛ أن مثل هذا الذي وقع في الحديث ليس من الظن المنهي عنه؛ لأنه في مقام التحذير من مثل من كان حاله كحال الرجلين، والنهي إنما هو عن الظن السوء بالمسلم المسالم في دينه وعرضه. وقد قال ابن عمر: إنا كنا إذا فقدنا الرجل في عشاء الآخرة أسأنا به الظن. ومعناه: أنه لا يغيب إلا لأمر سيئ؛ إما في بدنه، وإما في دينه ".

قلت: وأثر ابن عمر: أخرجه البزار (1/228/462 و463) بإسنادين عن نافع عنه، وإسناده الثاني عنه صحيح.

ص: 209