المَكتَبَةُ الشَّامِلَةُ السُّنِّيَّةُ

الرئيسية

أقسام المكتبة

المؤلفين

القرآن

البحث 📚

يخفى الفرق بينهما، فالأول: فيه الأمر بدلالة المفهوم على إعطاء - سلسلة الأحاديث الضعيفة والموضوعة وأثرها السيئ في الأمة - جـ ١٤

[ناصر الدين الألباني]

فهرس الكتاب

- ‌المقدمة:

- ‌6501

- ‌6502

- ‌6503

- ‌6504

- ‌6505

- ‌6506

- ‌6507

- ‌6508

- ‌6509

- ‌6510

- ‌6511

- ‌6512

- ‌6513

- ‌6514

- ‌6515

- ‌6516

- ‌6517

- ‌6518

- ‌6519

- ‌6520

- ‌6521

- ‌6522

- ‌6523

- ‌6524

- ‌6525

- ‌6526

- ‌6527

- ‌6528

- ‌6529

- ‌6530

- ‌6531

- ‌6532

- ‌6533

- ‌6534

- ‌6535

- ‌6536

- ‌6537

- ‌6538

- ‌6539

- ‌6540

- ‌6541

- ‌6542

- ‌6543

- ‌6544

- ‌6545

- ‌6546

- ‌6547

- ‌6548

- ‌6549

- ‌6550

- ‌6551

- ‌6552

- ‌6553

- ‌6554

- ‌6555

- ‌6556

- ‌6557

- ‌6558

- ‌6560

- ‌6561

- ‌6562

- ‌6563

- ‌6565

- ‌6566

- ‌6567

- ‌6568

- ‌6569

- ‌6570

- ‌6571

- ‌6572

- ‌6573

- ‌6574

- ‌6575

- ‌6576

- ‌6577

- ‌6578

- ‌6579

- ‌6580

- ‌6582

- ‌6583

- ‌6585

- ‌6586

- ‌6587

- ‌6588

- ‌6589

- ‌6590

- ‌6591

- ‌6592

- ‌6593

- ‌6594

- ‌6595

- ‌6596

- ‌6598

- ‌6599

- ‌6601

- ‌6602

- ‌6603

- ‌6604

- ‌6605

- ‌6606

- ‌6607

- ‌6608

- ‌6609

- ‌6610

- ‌6611

- ‌6612

- ‌6613

- ‌6614

- ‌6615

- ‌6616

- ‌6617

- ‌6618

- ‌6619

- ‌6620

- ‌6621

- ‌6622

- ‌6623

- ‌6624

- ‌6625

- ‌6626

- ‌6627

- ‌6628

- ‌6629

- ‌6630

- ‌6631

- ‌6632

- ‌6634

- ‌6636

- ‌6637

- ‌6638

- ‌6639

- ‌6640

- ‌6641

- ‌6642

- ‌6643

- ‌6644

- ‌6645

- ‌6646

- ‌6647

- ‌6648

- ‌6649

- ‌6650

- ‌6651

- ‌6652

- ‌6653

- ‌6654

- ‌6655

- ‌6656

- ‌6657

- ‌6658

- ‌6659

- ‌6660

- ‌6661

- ‌6662

- ‌6663

- ‌6664

- ‌6665

- ‌6666

- ‌6667

- ‌6668

- ‌6669

- ‌6670

- ‌6671

- ‌6672

- ‌6673

- ‌6674

- ‌6685

- ‌6686

- ‌6687

- ‌6688

- ‌6689

- ‌6690

- ‌6691

- ‌6692

- ‌6693

- ‌6694

- ‌6695

- ‌6696

- ‌6697

- ‌6698

- ‌6699

- ‌6700

- ‌6701

- ‌6702

- ‌6703

- ‌6704

- ‌6706

- ‌6707

- ‌6708

- ‌6709

- ‌6710

- ‌6711

- ‌6712

- ‌6713

- ‌6714

- ‌6715

- ‌6716

- ‌6717

- ‌6718

- ‌6719

- ‌6720

- ‌6721

- ‌6722

- ‌6723

- ‌6724

- ‌6725

- ‌6726

- ‌6727

- ‌6728

- ‌6729

- ‌6731

- ‌6732

- ‌6733

- ‌6734

- ‌6735

- ‌6736

- ‌6737

- ‌6738

- ‌6739

- ‌6740

- ‌6741

- ‌6742

- ‌6743

- ‌6744

- ‌6745

- ‌6746

- ‌6747

- ‌6748

- ‌6749

- ‌6750

- ‌6751

- ‌6752

- ‌6753

- ‌6754

- ‌6755

- ‌6756

- ‌6757

- ‌6758

- ‌6759

- ‌6760

- ‌6761

- ‌6762

- ‌6763

- ‌6764

- ‌6765

- ‌6766

- ‌6767

- ‌6768

- ‌6769

- ‌6770

- ‌6771

- ‌6772

- ‌6773

- ‌6774

- ‌6775

- ‌6776

- ‌6777

- ‌6778

- ‌6779

- ‌6780

- ‌6781

- ‌6782

- ‌6783

- ‌6784

- ‌6785

- ‌6786

- ‌6787

- ‌6788

- ‌6789

- ‌6790

- ‌6792

- ‌6793

- ‌6794

- ‌6795

- ‌6796

- ‌6797

- ‌6798

- ‌6799

- ‌6800

- ‌6801

- ‌6802

- ‌6803

- ‌6804

- ‌6805

- ‌6806

- ‌6807

- ‌6808

- ‌6809

- ‌6810

- ‌6811

- ‌6812

- ‌6813

- ‌6814

- ‌6815

- ‌6816

- ‌6817

- ‌6818

- ‌6819

- ‌6820

- ‌6821

- ‌6822

- ‌6823

- ‌6824

- ‌6825

- ‌6826

- ‌6827

- ‌6828

- ‌6829

- ‌6830

- ‌6831

- ‌6833

- ‌6834

- ‌6835

- ‌6836

- ‌6837

- ‌6838

- ‌6839

- ‌6841

- ‌6842

- ‌6843

- ‌6844

- ‌6845

- ‌6846

- ‌6847

- ‌6848

- ‌6849

- ‌6850

- ‌6851

- ‌6852

- ‌6853

- ‌6854

- ‌6855

- ‌ 8656

- ‌6857

- ‌6858

- ‌6859

- ‌6860

- ‌6861

- ‌6862

- ‌6863

- ‌6864

- ‌6865

- ‌6866

- ‌6867

- ‌6868

- ‌6869

- ‌6870

- ‌6871

- ‌6872

- ‌6873

- ‌6874

- ‌6875

- ‌6876

- ‌6877

- ‌6878

- ‌6879

- ‌6880

- ‌6881

- ‌6882

- ‌6883

- ‌6884

- ‌6885

- ‌6887

- ‌6888

- ‌6888/ م

- ‌6889

- ‌6889/ م

- ‌6890

- ‌6891

- ‌6892

- ‌6893

- ‌6894

- ‌6895

- ‌6896

- ‌6897

- ‌6898

- ‌6899

- ‌6900

- ‌6901

- ‌6902

- ‌6903

- ‌6904

- ‌6905

- ‌6906

- ‌6907

- ‌6908

- ‌6909

- ‌6910

- ‌6911

- ‌6912

- ‌6913

- ‌6914

- ‌6915

- ‌6916

- ‌6917

- ‌6918

- ‌6919

- ‌6920

- ‌6921

- ‌6922

- ‌6923

- ‌6924

- ‌6925

- ‌6925/ م

- ‌6926

- ‌6930

- ‌6931

- ‌6932

- ‌6933

- ‌6934

- ‌6935

- ‌6936

- ‌6937

- ‌6938

- ‌6939

- ‌6940

- ‌6941

- ‌6942

- ‌6943

- ‌6945

- ‌6946

- ‌6947

- ‌6948

- ‌6949

- ‌6950

- ‌6951

- ‌6952

- ‌6953

- ‌6954

- ‌6955

- ‌6956

- ‌6957

- ‌6958

- ‌6959

- ‌6960

- ‌6961

- ‌6962

- ‌6963

- ‌6964

- ‌6965

- ‌6966

- ‌6968

- ‌6969

- ‌6970

- ‌6972

- ‌6973

- ‌6975

- ‌6976

- ‌6978

- ‌6979

- ‌6980

- ‌6981

- ‌6982

- ‌6983

- ‌6984

- ‌6985

- ‌6986

- ‌6987

- ‌6988

- ‌6989

- ‌6991

- ‌6992

- ‌6993

- ‌6994

- ‌6995

- ‌6996

- ‌6998

- ‌6999

- ‌7000

- ‌7002

- ‌7003

- ‌7005

- ‌7006

- ‌7007

- ‌7009

- ‌7010

- ‌7011

- ‌7013

- ‌7014

- ‌7015

- ‌7017

- ‌7018

- ‌7019

- ‌7020

- ‌7021

- ‌7022

- ‌7023

- ‌7024

- ‌7025

- ‌7026

- ‌7027

- ‌7028

- ‌7029

- ‌7031

- ‌7032

- ‌7034

- ‌7035

- ‌7036

- ‌7037

- ‌7038

- ‌7039

- ‌7040

- ‌7041

- ‌7043

- ‌7044

- ‌7045

- ‌7046

- ‌7047

- ‌7048

- ‌7049

- ‌7050

- ‌7051

- ‌7052

- ‌7053

- ‌7054

- ‌7055

- ‌7057

- ‌7058

- ‌7059

- ‌7060

- ‌7061

- ‌7062

- ‌7063

- ‌7064

- ‌7065

- ‌7066

- ‌7068

- ‌7070

- ‌7071

- ‌7073

- ‌7074

- ‌7075

- ‌7076

- ‌7077

- ‌7079

- ‌7080

- ‌7081

- ‌7082

- ‌7084

- ‌7085

- ‌7087

- ‌7089

- ‌7090

- ‌7091

- ‌7092

- ‌7094

- ‌7095

- ‌7096

- ‌7098

- ‌7099

- ‌7100

- ‌7101

- ‌7102

- ‌7103

- ‌7105

- ‌7107

- ‌7108

- ‌7109

- ‌7110

- ‌7111

- ‌7112

- ‌7113

- ‌7114

- ‌7115

- ‌7117

- ‌7118

- ‌7119

- ‌7120

- ‌7121

- ‌7122

- ‌7123

- ‌‌‌7125

- ‌7125

- ‌7126

- ‌7127

- ‌7128

- ‌7129

- ‌7130

- ‌7131

- ‌7132

- ‌7133

- ‌7134

- ‌7135

- ‌7137

- ‌7138

- ‌7139

- ‌7141

- ‌7142

- ‌7143

- ‌7145

- ‌7146

- ‌7147

- ‌7148

- ‌7150

- ‌7151

- ‌7152

- ‌7153

- ‌7155

- ‌7156

- ‌7157

- ‌7157/ م

- ‌7159

- ‌7160

- ‌7161

- ‌7162

الفصل: يخفى الفرق بينهما، فالأول: فيه الأمر بدلالة المفهوم على إعطاء

يخفى الفرق بينهما، فالأول: فيه الأمر بدلالة المفهوم على إعطاء الأجيرأجره كاملاً وافياً غير منقوص، والآخر: فيه الأمر الصريح بالتعجيل بدفع الأجر؛ كما هو ظاهرلكل بصير.

‌6764

- (لا ينفع حذر من قدر، والدعاء ينفع مالم ينزل القضاء، وإن البلاء والدعاء ليلتقيان بين السماء والأرض، فيعتلجان إلى يوم القيامة) .

ضعيف جداً (*) .

أخرجه البزار في " مسنده "(2/ 29/ 2164) من طريق إبراهيم بن خُثيم بن عراك بن مالك عن أبيه عن جده عن أبي هريرة مرفوعاً. وقال:

" لا نعلمه عن أبي هريرة إلا بهذا الإسناد ".

قلت: وهو ضعيف جداً؛ إبراهيم بن خثيم: قال النسائي:

" متروك ". وقال أن زرعة.

" منكر الحديث".

وبه أعله الهيثمي، فقال (7/ 209 و 10/ 146) :

"رواه البزار، وفيه إبراهيم بن خثيم، وهو متروك ".

ثم رواه البزار (2165) ، والحاكم (1/ 492) ، والطبراني في " الأوسط "(3/ 242/ 2519) ، و " الدعاء "(2/ 2/ 0 80/ 33) ، والخطيب (8/ 453)

(*) هذا ما حكم به الشيخ رحمه الله أخيراً على هذا الحديث، وكان قد حسنه - قديماً -؛ انظر "صحيح الجامع " برقم (7739) . (الناشر) .

ص: 594

من طريق زكريا بن منظور: حدثني عطاف عن هشام عن أبيه عن عائشة مرفوعاً بلفظ:

"لا يغني حذر من قدر، والدعاء ينفع مما نزل، ومما لم ينزل، وان البلاء ينزل فيلقاه الدعاء فيعتلجان إلى يوم القيامة ".

وقال البزار:

" لا نعلمه عن النبي صلى الله عليه وسلم إلا بهذا الإسناد ".

كذا قال! وكأنه نسي، فقد علمه بالإسناد المتقدم عنه له؛ وان كان واهياً، وأظن أن هذا مثله في الوهن، وعلته (زكريا بن منظور)، وان قال الحاكم عقبه:

"صحيح الإسناد "؛ فقد رده الذهبي بقوله في " التلخيص ":

" قلت: زكريا مجمع على ضعفه".

كذا قال! وهو مردود بقول الهيثمي:

" وثقه أحمد بن صالح المصري، وضعفه الجمهور ".

قلت: ووثقه ابن معين في رواية؛ كما في " التهذيب ". وقال الذهبي في "المغني ":

"ضعفه جماعة، وقال ابن معين: ليس بثقة ". وأما في " الكاشف " فاكتفى بقوله:

" لينه أحمد ". ونحوه قول الحافظ في، " التقريب ":

" ضعيف ".

وأما في " التلخيص الحبير "؛ فقال عقب الحديث - وقد عزاه للبزار والحاكم -:

ص: 595