المَكتَبَةُ الشَّامِلَةُ السُّنِّيَّةُ

الرئيسية

أقسام المكتبة

المؤلفين

القرآن

البحث 📚

في "التاريخ، (8/64) قال: حدثنا محمد بن غالب: حدثني عبد - سلسلة الأحاديث الضعيفة والموضوعة وأثرها السيئ في الأمة - جـ ١٣

[ناصر الدين الألباني]

فهرس الكتاب

- ‌المقدمة:

- ‌6001

- ‌6002

- ‌6003

- ‌6004

- ‌6005

- ‌6006

- ‌6007

- ‌6008

- ‌6009

- ‌6010

- ‌6011

- ‌6012

- ‌6013

- ‌6014

- ‌6015

- ‌6016

- ‌6017

- ‌6018

- ‌6019

- ‌6020

- ‌6021

- ‌6022

- ‌6023

- ‌6024

- ‌6025

- ‌6026

- ‌6027

- ‌6028

- ‌6029

- ‌6030

- ‌6031

- ‌6032

- ‌6033

- ‌6034

- ‌6035

- ‌6036

- ‌6037

- ‌6038

- ‌6039

- ‌6040

- ‌6041

- ‌6042

- ‌6043

- ‌6044

- ‌6045

- ‌6046

- ‌6047

- ‌6048

- ‌6049

- ‌6050

- ‌6051

- ‌6052

- ‌6053

- ‌6054

- ‌6055

- ‌6056

- ‌6057

- ‌6058

- ‌6059

- ‌6060

- ‌6061

- ‌6062

- ‌6063

- ‌6064

- ‌6065

- ‌6066

- ‌6067

- ‌6068

- ‌6069

- ‌6070

- ‌6071

- ‌6072

- ‌6073

- ‌6074

- ‌6075

- ‌6076

- ‌6077

- ‌6078

- ‌6079

- ‌6080

- ‌6081

- ‌6082

- ‌6083

- ‌6084

- ‌6085

- ‌6086

- ‌6087

- ‌6088

- ‌6089

- ‌6090

- ‌6091

- ‌6092

- ‌6093

- ‌6094

- ‌6095

- ‌6096

- ‌6097

- ‌6098

- ‌6099

- ‌6100

- ‌6101

- ‌6102

- ‌6103

- ‌6104

- ‌6105

- ‌6106

- ‌6107

- ‌6108

- ‌6109

- ‌6110

- ‌6111

- ‌6112

- ‌6113

- ‌6114

- ‌6115

- ‌6116

- ‌6117

- ‌6118

- ‌6119

- ‌6120

- ‌6121

- ‌6122

- ‌6123

- ‌6124

- ‌6125

- ‌6126

- ‌6127

- ‌6128

- ‌6129

- ‌6130

- ‌6131

- ‌6132

- ‌6133

- ‌6134

- ‌6135

- ‌6136

- ‌6137

- ‌6138

- ‌6139

- ‌6140

- ‌6141

- ‌6142

- ‌6143

- ‌6144

- ‌6145

- ‌6146

- ‌6147

- ‌6148

- ‌6149

- ‌6150

- ‌6151

- ‌6152

- ‌6153

- ‌6154

- ‌6155

- ‌6156

- ‌6157

- ‌6158

- ‌6159

- ‌6160

- ‌6161

- ‌6162

- ‌6163

- ‌6164

- ‌6165

- ‌6166

- ‌6167

- ‌6168

- ‌6169

- ‌6170

- ‌6171

- ‌6172

- ‌6173

- ‌6174

- ‌6175

- ‌6176

- ‌6177

- ‌6178

- ‌6179

- ‌6180

- ‌6181

- ‌6182

- ‌6183

- ‌6184

- ‌6185

- ‌6186

- ‌6188

- ‌6189

- ‌6190

- ‌6191

- ‌6192

- ‌6193

- ‌6194

- ‌6195

- ‌6196

- ‌6197

- ‌6198

- ‌6199

- ‌6200

- ‌6201

- ‌6202

- ‌6203

- ‌6204

- ‌6205

- ‌6206

- ‌6207

- ‌6208

- ‌6209

- ‌6210

- ‌6211

- ‌6212

- ‌6213

- ‌6214

- ‌6215

- ‌6216

- ‌6217

- ‌6218

- ‌6219

- ‌6220

- ‌6221

- ‌6222

- ‌6223

- ‌6224

- ‌6225

- ‌6226

- ‌6227

- ‌6228

- ‌6229

- ‌6230

- ‌6231

- ‌6232

- ‌6233

- ‌6234

- ‌6235

- ‌6236

- ‌6237

- ‌6238

- ‌6239

- ‌6240

- ‌6241

- ‌6242

- ‌6243

- ‌6244

- ‌6245

- ‌6246

- ‌6247

- ‌6248

- ‌6249

- ‌6250

- ‌6251

- ‌6252

- ‌6253

- ‌6254

- ‌6255

- ‌6256

- ‌6257

- ‌6258

- ‌6259

- ‌6260

- ‌6261

- ‌6262

- ‌6263

- ‌6264

- ‌6265

- ‌6266

- ‌6268

- ‌6269

- ‌6270

- ‌6271

- ‌6272

- ‌6273

- ‌6274

- ‌6275

- ‌6276

- ‌6277

- ‌6278

- ‌6279

- ‌6280

- ‌6281

- ‌6282

- ‌6283

- ‌6284

- ‌6285

- ‌6286

- ‌6287

- ‌6288

- ‌6289

- ‌6290

- ‌6291

- ‌6292

- ‌6293

- ‌6294

- ‌6295

- ‌6296

- ‌6297

- ‌6298

- ‌6299

- ‌6300

- ‌6301

- ‌6302

- ‌6302/ م

- ‌6303

- ‌6304

- ‌6304/ م

- ‌6305

- ‌6306

- ‌6307

- ‌6308

- ‌6309

- ‌6310

- ‌6311

- ‌6312

- ‌6313

- ‌6314

- ‌6315

- ‌6316

- ‌6317

- ‌6318

- ‌6319

- ‌6320

- ‌6321

- ‌6322

- ‌6323

- ‌6324

- ‌6325

- ‌6326

- ‌6327

- ‌6328

- ‌6329

- ‌6330

- ‌6331

- ‌6332

- ‌6333

- ‌6334

- ‌6335

- ‌6336

- ‌6337

- ‌6338

- ‌6339

- ‌6340

- ‌6341

- ‌6342

- ‌6343

- ‌6344

- ‌6345

- ‌6346

- ‌6347

- ‌6348

- ‌6349

- ‌6350

- ‌6351

- ‌6352

- ‌6353

- ‌6354

- ‌6355

- ‌6356

- ‌6357

- ‌6358

- ‌6359

- ‌6360

- ‌6361

- ‌6362

- ‌6363

- ‌6364

- ‌6365

- ‌6366

- ‌6367

- ‌6368

- ‌6369

- ‌6370

- ‌6371

- ‌6372

- ‌6373

- ‌6374

- ‌6375

- ‌6376

- ‌6377

- ‌6378

- ‌6379

- ‌6380

- ‌6381

- ‌6382

- ‌6383

- ‌6384

- ‌6385

- ‌6386

- ‌6387

- ‌6388

- ‌6389

- ‌6390

- ‌6391

- ‌6392

- ‌6393

- ‌6394

- ‌6395

- ‌6396

- ‌6397

- ‌6398

- ‌6399

- ‌6400

- ‌6401

- ‌6402

- ‌6403

- ‌6404

- ‌6405

- ‌6406

- ‌6407

- ‌6408

- ‌6409

- ‌6410

- ‌6411

- ‌6412

- ‌6413

- ‌6414

- ‌6415

- ‌6416

- ‌6417

- ‌6418

- ‌6419

- ‌6420

- ‌6421

- ‌6422

- ‌6423

- ‌6424

- ‌6426

- ‌6427

- ‌6428

- ‌6429

- ‌6430

- ‌6431

- ‌6432

- ‌6433

- ‌6434

- ‌6435

- ‌6436

- ‌6437

- ‌6438

- ‌6439

- ‌6440

- ‌6441

- ‌6442

- ‌6443

- ‌6444

- ‌6445

- ‌6446

- ‌6447

- ‌6448

- ‌6449

- ‌6450

- ‌6451

- ‌6452

- ‌6453

- ‌6454

- ‌6455

- ‌6456

- ‌6457

- ‌6458

- ‌6459

- ‌6460

- ‌6461

- ‌6462

- ‌6463

- ‌6464

- ‌6465

- ‌6466

- ‌6467

- ‌6468

- ‌6469

- ‌6470

- ‌6471

- ‌6472

- ‌6473

- ‌6474

- ‌6475

- ‌6476

- ‌6477

- ‌6478

- ‌6479

- ‌6480

- ‌6481

- ‌6482

- ‌6483

- ‌6484

- ‌6485

- ‌6486

- ‌6487

- ‌6488

- ‌6489

- ‌6490

- ‌6491

- ‌6492

- ‌6493

- ‌6494

- ‌6495

- ‌6496

- ‌6497

- ‌6498

- ‌6499

- ‌6500

الفصل: في "التاريخ، (8/64) قال: حدثنا محمد بن غالب: حدثني عبد

في "التاريخ، (8/64) قال: حدثنا محمد بن غالب: حدثني عبد الصمد: ثنا

إسرائيل

به.

قلت: وهذا إسناد جيد، محمد بن غالب هو: تمتام، وهو حافظ متقن، فيه

كلام يسير، مترجم في "الميزان " و" اللسان " و "السير"(13/390 - 392) ، ولم

يورده الذهبي في "الضعفاء":

وشيخه عبد الصمد هو؛ ابن النعمان، مختلف فيه، ترجمته في "الميزان "

و"اللسان "، وقال الذهبي في "الضعفاء":

"صدوق مشهور".

ومن فوقه ثقات من رجال مسلم.

وجملة القول: أن حديث الترجمة وقع لابن حبان مختصراً؛ فأوهم معنى

آخر، فالصواب أن المراد بدلالة ما تقدم:

"وإذا أراد أن يخرج؛ صلى ركعتين سنة انفجر، ثم خرج إلى المسجد"، وليس

مسافراً.

‌6236

- (صلِّ ركعتين. قاله لرجل يُريدُ أن يَخْرُجَ للتجارة) .

منكر.

أخرجه الطبراني في "المعجم الكبير"(10/251/10469) من طريق

عبد الله بن سفيان عن الأعمش عن أبي وائل عن عبد الله قال:

جاء رجل إلى رسول الله صلى الله عليه وسلم فقال: يا رسول الله! إني أريد أن أخرج إلى

البحرين في تجارة؛ فقال صلى الله عليه وسلم:

فذكره.

قلت: وهذا إسناد ضعيف، رجاله ثقات؛ غير عبد الله بن سفيان وهو:

الواسطي، ذكره العقيلي في " الضعفاء" وقال (2/262) :

ص: 510

"لا يتابع على حديثه ".

وكذا في "الميزان " و "اللسان ".

وأما قول الهيثمي في "المجمع "(2/283) :

"رواه الطبراني في "الكبير"، ورجاله موثقون ".

كذا قال وأقره الشيخ الدويش (ص 85/94) ! وجعله شاهداً للحديث المرسل

الذي أوردته تحت الحديث السابق: "ما خلف عبد على أهله أفضل من ركعتين

"

الحديث، ففاته الحقائق التالية:

الأولى: أنه شاهد قاصر؛ لأنه لا يشهد للأفضلية المذكورة فيه، ولو أنه عكس؛

لأصاب، أي أن يقول إن المرسل يشهد لهذا، كما يشهد له حديث أبي هريرة

المذكور هناك، أي: لصلاة الركعتين عند السفر.

الثانية: أن قوله: "موثَّقون" ليس في قوة ما لو قال: "ثقات"، بل قد عرفنا

من استقرائنا لقوله هذا: "موثَّقون" أنه يشير إلى توهين التوثيق من جهة، وإلى أنه

من توثيق ابن حبان المعروف بتساهله في التوثيق من جهةٍ أخرى، وهو في ذلك

تابع للذهبي في "الكاشف"، فإن من عادته إذا قال في المترجم فيه:"وثّق"؛ فإنه

يعني تفرد بتوثيقه ابن حبان!

الثالثة: أن عبد الله بن سفيان هذا لم يوثقه أحد حتى ولا ابن حبان مع

تضعيف العقيلي إياه كما تقدم، فقول الهيثمي على إطلاقه وهم ظاهر ما كان

ينبغي للدويش أن يقلده! ولكنه التحويش، والإعراض عن التحقيق والتفتيش.

(فائدة) : تبين من تخريج هذا الحديث والذي قبله، أنه قد توفر ثلاثة أحاديث

في الصلاة عند السفر، فهل يمكن الاستدلال بذلك على مشروعية هذه الصلاة؟

ص: 511